बिनटोलिया गांव के पास पहुंचा नदी का कटा, ग्रामीणों में दहशत
क्षेत्र के दुबारी आंशिक तथा धर्मपुर विशुनपुर गांव में नेपाल के पानी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। घाघरा नदी के बाढ़ और कटान से उजड़ना बसना और...
दुबारी। क्षेत्र के दुबारी आंशिक तथा धर्मपुर विशुनपुर गांव में नेपाल के पानी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। घाघरा नदी के बाढ़ और कटान से उजड़ना बसना और फिर उजड़ जाना जैसे नदी के तटवर्ती इलाके के लोगों की नियत बन गई है। बिनटोलिया गांव नदी की कटान की जद में आ गया है। इस गांव के लोग अपने मकानों को तोड़क किमती समान सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। ढाई दशक के बीच देवरांचल के 6 गांव व पुरवे कटान की भेंट चढ़ गए हैं। इसके साथ ही सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि को घाघरा ने निगल लिया और पीछे छोड़ गई कही बालू तो कहीं उबड़ खाबड़ भूमि रह गई। घाघरा नदी की मार से बर्बादी का दंश झेल रहे तटवर्ती गांवों के सैकड़ों परिवारों के हजारों लोगों की दुश्वारियां इस कदर बढ़ गई है कि उनका सुख चैन की नींद हराम हो गई है। यहां के लोगों का ठिकाना कटान की भेंट चढ़ने से 30 परिवारों को तहसील प्रशासन ने आवासीय पट्टा आवंटित कर लोकया ग्राम पंचायत के मझौवा में बसाया है, जबकि कटान की जद में आने से अधिकतर परिवार के लोग विस्थापित होकर खैरा देवारा के प्राथमिक विद्यालय में अपना डेरा डाले हुए हैं। कुछ लोग कटान के भय से अपने सामानों को ट्रैक्टर ट्राली से सुरक्षित जगहों पर ले कर जाते दिख रहे हैं।
बिनटोलिया गांव के विस्थापितों की बढ़ रही संख्या
दुबारी। । वर्ष 1998 में आई प्रलयंकारी बाढ़ व कटान की जद में आने से अभिराज का पूरा, पांच पांडवा, केवटलिया, बिंद बस्ती समेत 5 पुरवो का अस्तित्व घाघरा के आगोश में समा चुका है। अबकी बारी छठवें गांव के रूप में बिंनटोलिया दिख रही है। फलस्वरूप विंदटोलिया गांव में हो रही कटान से विस्थापितों की संख्या बढ़ती जा रही है। जो शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर हैं। इसी के साथ ही नंद जी का पूरा व सुंदर का पुरवा के समीप नदी की जारी कटान से इन पूर्वे के अस्तित्व को लेकर लोगों की नींद उड़ गई है। कटान पीड़ित सुभावती देवी, हरिश्चंद्र, जीत बंधन, जगदंबा, दिनेश पुणवासी सुरेंद्र जयप्रकाश प्रदीप ,चंदा ,महेंद्र का कहना है कि घाघरा की कटान ने अपने हाथों बनवाए गए मकान को उजाड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।
बाढ़ के पानी के साथ गांवों में पहुंचे संक्रामक रोग
दोहरीघाट। बाढ़ग्रस्त इलाकों में अब पानी सड़ने से तीक्ष्ण दुर्गध फैलने लगी है। इससे वहां संक्रामक बीमारियां फैलनी शुरू हो गई हैं। बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों को संक्रामक रोगों ने घेर लिया है। बाढ़ग्रस्त गांवों का आलम यह है कि लोग अपना और परिवार का पेट पालने की तो जद्दोजहद कर ही रहे हैं, साथ ही संक्रामक रोगों की आहट से भी परेशान हैं। बच्चों में तेज बुखार, खांसी, जुकाम, सिर दर्द, भूख न लगना और शरीर पर दाने निकलने से ग्रामीण परेशान हैं। बाढ़ के पानी हटने के साथ गड्ढों और निचले हिस्सों व नालियों में गंदा पानी भरने से सड़ांध की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। इसके चलते इन गांवों में लोगों व बच्चों को संक्रामक रोगों ने घेर रखा है। क्षेत्र के हरधौली, चकभगवान दास, मोहम्दाबाद सिपाह, बहादुरपुर, नवली, लामी, कादीपुर, तारनपुर, गोड़ौली, पतनई, बेलौली सहित आदि गांवों में जमे बाढ़ का पानी से बदबू उठ रही है। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉक्टर फैजान ने बताया कि जलमग्न गांवों में टीम भेजी जा रही है। गांव की आशा बहनों को क्लोरीन की गोलियां बांटने को दी जा रही हैं। विभाग संक्रामक रोगों की रोकथाम को प्रयास कर रहा है। संक्रामक रोगों का मुख्य कारण गंदगी है और ग्रामीणों को ऐसे मौसम में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
