भगवान की प्राप्ति के लिए अहंकार का त्याग जरूरी
स्वामी रविंद्र जी महाराज द्वारा निजामुद्दीनपुरा में भागवत कथा में भगवान कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करते हुए बताया कि बाल्यावस्था से भगवान कृष्ण ने...
मऊ। स्वामी रविंद्र जी महाराज द्वारा निजामुद्दीनपुरा में भागवत कथा में भगवान कृष्ण के बाल रूप का वर्णन करते हुए बताया कि बाल्यावस्था से भगवान कृष्ण ने विविध रूपों में अपने लीला की और पूरे समाज को जागृत किया। कहा कि प्रेम जगत में सार और कुछ सार नहीं। जब तक अहंकार रूपी ज्ञान रहेगा ईश्वर का सानिध्य नहीं मिल सकता। जिस दिन अहंकार रूपी दंड का परित्याग कर देंगे उसी दिन भगवान का दर्शन प्राप्त हो जाएगा।
भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह को विस्तृत रूप से बताया, जहां केवल प्रेम की प्रधानता थी। भक्त भगवान से भी बड़े होते हैं प्रेम ही भगवान की सबसे बड़ी पूजा है। सनातन धर्म की जड़ें बहुत गहरी हैं। विभिन्न प्रकार के धर्मों ने इसको तोड़ने का प्रयास किया, परंतु आज भी वह सनातन धर्म जीवन जीने की कला को सिखा रहा है और आत्मा का परमात्मा से मिलने का रास्ता बताता है। कथा में यजमान ऋषिकेश पांडेय, राजकुमार पांडेय, अंजनी कुमार पांडेय, चंद्र प्रकाश तिवारी, रामबदन, संजय कुमार पांडे, विशाल पांडेय, अनिल पांडेय, पत्नी के साथ पूजन किया। इस अवसर पर शक्ति सिंह, विजय प्रकाश सिंह, चंद्रकेश नाथ दुबे, दयाशंकर मिश्र, राम शकल चौहान, तेज बहादुर सिंह, गोपाल, विष्णु बरनवाल, कृष्ण कुमार गुप्त, बाबूराम यादव सहित सैकड़ों की संख्या में दर्शक मौजूद रहे।
