अलगू राय की अगुवाई ने हिला दी थी ब्रिटिश सत्ता की चूलें
पंडित अलगू राय शास्त्री एक महान क्रांतिकारी थे। आजादी की लड़ाई में पंडित अलगू राय की अगुवाई में आजादी के दीवानो ने ब्रिटिश हूकुमत की चूलें हिला कर रख दी। अलगू राय शास्त्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम...
पंडित अलगू राय शास्त्री एक महान क्रांतिकारी थे। आजादी की लड़ाई में पंडित अलगू राय की अगुवाई में आजादी के दीवानो ने ब्रिटिश हूकुमत की चूलें हिला कर रख दी। अलगू राय शास्त्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनेता, शिक्षाविद् एवं कानूनविद् थे वे पहली लोकसभा के आजमगढ़ पूर्व से सदस्य थे, जिसे अब घोसी कहा जाता है। वे संविधान सभा के सदस्य थे। वे उत्तर प्रदेश काँग्रेस के प्रेसिडेंट थे। संविधान सभा में उन्होंने अपने वाक-चातुर्य से सबको प्रभावित किया। हिंदी को राजभाषा बनाए जाने के सवाल पर उनकी वक्तृता ने राष्ट्रभाषा के गौरव को स्थापित किया।
शास्त्री जी का जन्म 29 जनवरी 1900 में अमिला गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम द्वारिका राय तथा माता का नाम कमला देवी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा अमिला व उच्च शिक्षा काशी विद्यापीठ वाराणसी से पूरी हुई। 1920 में असहयोग आंदोलन में विद्यार्थी होते हुए भी जेल यात्रा किए। जेल से छूटने के बाद 1923 में विद्यापीठ से शास्त्री की डिग्री प्राप्त कर सक्रिय राजनीति में भागीदारी की। पंडित अलगू राय राजनीति के आलावा साहित्य के क्षेत्र में भी काम किया। महान देशभक्त क्रांतिकारी और कानूनविद् थे पंडित अलगू राय शास्त्री। उनकी बुद्धिमत्ता से ब्रिटिश सरकार तो परेशान ही थी। संविधान सभा में भी उन्होंने अपने वाक चातुर्य से सबको प्रभावित किया। हिंदी को राजभाषा बनाए जाने के सवाल पर उनकी वक्तृता ने राष्ट्रभाषा के गौरव को स्थापित किया। पंडित अलगू राय शास्त्री 12 फरवरी 1967 को चिरनिद्रा में लीन हो गये।
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