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राजकीय पशु चिकित्सालय बदहाल, कैसे हो बेजुबानों का इलाज

Mau News - मऊ के दोहरीघाट स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय की हालत बेहद खराब है। चिकित्सकों के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है और अस्पताल का भवन जर्जर हो गया है। बारिश के दिनों में पानी टपकता है और शौचालय व पेयजल की...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊWed, 15 Jan 2025 01:05 AM
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मऊ। जनपद के दोहरीघाट कस्बा स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय देखरेख के अभाव में बदहाल हो गया है। यहां न तो चिकित्सक के बैठने का इंतजाम है और न ही पशुओं के इलाज का। भवन जर्जर होने से आए दिन प्लास्टर टूटकर गिर रहा है, तो बारिश के दिनों में छत से झरने की तरह पानी कमरों में टपकता है। परिसर में पेयजल और शौचालय की व्यवस्था न होने से चिकित्सकों सहित पशुपालकों को भटकना पड़ता है। चिकित्सक सहित ग्रामीण अस्पताल की बदहाली को लेकर जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई। अगर जल्द ही इसके जीर्णोद्धार के लिए पहल नहीं होगी तो यह अपना वजूद खो देगा। जनपद के दोहरीघाट कस्बे में वर्ष 1965 में लाखों रुपये खर्च कर पशुपालन विभाग ने राजकीय पशु चिकित्सालय का निर्माण कराया, जिसमें दो कमरा, एक छोटा सा बरामदा बनाया गया है। पशुपालकों में उस दौरान पशुओं के समुचित इलाज की उम्मीद जगी थी, लेकिन समय बीतने के साथ ही चिकित्सालय का हाल खस्ताहाल हो गया। इस अस्पताल पर ब्लॉक के 74 ग्राम पंचायतों के लगभग 23 हजार 500 पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी है, लेकिन वर्तमान समय में दशा यह है कि चिकित्सालय अपनी उपयोगिता खो रहा है। भवन खंडहर में तब्दील होने के कगार पर है। आए दिन भवन का प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है। वहीं, बारिश के दिनों में छत से कमरों में पानी टपकता रहता है। ऐसे में चिकित्सक खुले आसमान के नीचे बैठकर पशुओं का इलाज करते हैं। जबकि, परिसर में चिकित्सक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए बने आवासीय भवन भी खंडहर में तब्दील हो गए हैं, जिससे चिकित्सक और कर्मचारी ड्यूटी के बाद अपने प्राइवेट रूम पर चले जाते हैं। वहीं, चहारदीवारी जगह-जगह से ध्वस्त और गेट लगा न होने से शाम ढलते ही परिसर अराजकतत्वों का अड्डा बन जाता है। साथ ही कॉलोनी के लोग अपनी दुकानों तथा घरों से निकलने वाला कूड़ा अस्पताल परिसर में ही फेंकते हैं, जिससे परिसर में चारों तरफ गंदगी फैली रहती है। अपराह्न दो बजे के बाद पशु चिकित्सकों की उपलब्धता न होने से निजी पशु चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में ढहने के करीब पहुंच चुके अस्पताल से पशुपालक भी भयभीत रहते हैं। लोगों ने नए अस्पताल भवन के निर्माण की कई बार मांग उठाई पर जिम्मेदार उस पर ध्यान ही नहीं दे रहे। लोगों ने जिला प्रशासन से मांग किया है कि जनपद के सबसे पुराने पशु अस्पताल की सुध ले इसका जीर्णोद्धार कराया जाए।

शौचालय और पेयजल की भी सुविधा नहीं

मऊ। राजकीय पशु चिकित्सालय दोहरीघाट का भवन जर्जर होने के साथ ही यहां शौचालय और पेयजल की भी समस्या है। परिसर में नगर पंचायत द्वारा बना शौचालय पानी न होने के कारण शोपीस बना हुआ है। इससे शौचालय पर हमेशा ताला लटका रहता है। परिसर में पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। सिर्फ एक इंडिया मार्का हैंडपंप लगा हुआ है, जिससे पीने योग्य पानी नहीं निकलता है। प्रकाश के लिए सिर्फ एक पोल पर छोटी सी स्ट्रीट लाइट लगी हुई है, जो हमेशा जलती रहती है। स्ट्रीट बंद करने के लिए कोई स्विच नहीं लगा है। वहीं, अस्पताल में बिजली सप्लाई रामभरोसे चलती है। अस्पताल के कर्मचारी जुगाड़ लगाकर कमरों में बिजली सप्लाई किए हुए हैं, जिससे करंट लगने का भी खतरा बना रहता है।

अस्पताल पर चिकित्सक समेत चार कर्मी तैनात

मऊ। पशुओं के इलाज की जिम्मेदारी एक चिकित्सक समेत चार कर्मियों पर है, लेकिन इनके ऊपर भी टीकाकरण, गोशालाओं की देखरेख, पशुगणना सहित अन्य कार्य भी लिए जाते हैं। जब ये चिकित्सक क्षेत्र में चले जाते हैं तो अस्पताल आने वाले पशुपालकों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। कुछ दूसरे दिन आ जाते हैं, लेकिन अधिकतर लोग प्राइवेट चिकित्सकों से पशुओं का इलाज करा लेते हैं। ऐसे में यहां चिकित्सक के साथ ही अन्य कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जानी आवश्यक है, जिससे पशुपालकों को इलाज के लिए भटकना न पड़े।

गैर जनपदों से भी आते हैं पशुपालक

मऊ। राजकीय पशु चिकित्सालय दोहरीघाट में क्षेत्र के गांवों के साथ ही गैर जनपदों यथा आजमगढ़ जनपद के महुला तक के पशुपालक भी अपने पशुओं के इलाज के लिए आते हैं। ऐसे क्षेत्र में मात्र एक पशु चिकित्सालय है और वह भी बदहाल है, जिससे पशुपालकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

बोले पशुपालक

जर्जर अस्पताल की मरम्मत के साथ ही चिकित्सकों और कर्मियों के रहने के लिए भी भवन बनाया जाए, जिससे पशुपालक कभी जाए तो पशुओं को इलाज आसानी से हो सके। जिला प्रशासन को इस अस्पताल की सुधि लेनी चाहिए।

-झारखंडे राय।

देखरेख के अभाव और विभागीय लापरवाही के चलते भवन जीर्ण-शीर्ण हो गया है। इसके चलते बीमार पशुओं का इलाज नीम हकीमों से कराना विवशता बन गई है। इसका जीर्णोद्धार कराना अतिआवश्यक है।

- संतोष मिश्रा।

अस्पताल पर पशुओं के इलाज की बेहतर व्यवस्था नहीं है। अपराह्न दो बजे के बाद पशु चिकित्सकों की उपलब्धता न होने से निजी पशु चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है।

- राजेश राय।

पशु अस्पताल में शौचालय और पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में आने वाले पशुपालकों को भटकना पड़ता है। इस ओर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए।

- वीरेंद्र यादव।

पशु अस्पताल खुद ही बीमार है, तो कैसे पशुओं का इलाज होगा। जनपद का यह इकलौता अस्पताल है जिसका परिसर इतना बड़ा है, लेकिन देखरेख के अभाव में यह जर्जर होता जा रहा है। इसकी मरम्मत का कार्य करना बहुत जरूरी है, नहीं तो यह किसी भी दिन गिर सकता है।

- प्रवीण राय चिन्टू।

अस्पताल का भवन जर्जर हो चुका है। अंदर जाने पर डर लगता है। बारिश के दिनों में स्थिति और दयनीय हो जाती है। हमेशा पानी टपकता रहता है, जिससे चिकित्सक परेशान रहते हैं। ऐसे में वे पहले अपना बचाव करते हैं फिर पशुओं का उपचार करते हैं।

- सुरेंद्र राय।

अधिकारियों को अवगत कराया गया है

भवन जर्जर है जिसके बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। साथ ही इसके जीर्णोद्धार के लिए ब्लॉक और नगर पंचायत से भी अपील की गई है, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बारिश के दिनों में पानी टपकने से दवाएं खराब भी हो जाती हैं। इसका मरम्मत कराना अतिआवश्यक है।

- केके कमल, पशु चिकित्साधिकारी, दोहरीघाट।

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