शवदाह स्थल के नीचे लगे बोल्डरों में पड़ी दरारें
घाघरा नदी का जल स्तर घटने के साथ नदी के किनारे स्थित तटवर्ती क्षेत्रों के करीब कटान तेज हो गई...
दोहरीघाट। घाघरा नदी का जल स्तर घटने के साथ नदी के किनारे स्थित तटवर्ती क्षेत्रों के करीब कटान तेज हो गई है। बंधों और भारत माता मंदिर के पीछे दीवारों पर अब भी नदी की तेज लहरें टकरा रही हैं। गौरीशंकर घाट पर लगे मीटर गेज पर खतरा बिंदु 69.90 मीटर से 5 सेमी नीचे पहुंचने के बाद भी ऐतिहासिक धरोहरों पर खतरा मण्डरा रहा है। बुधवार को घाघरा का जलस्तर 69.90 मीटर रहा। गुरुवार को 5 सेमी घटकर 69.85 सेमी पर पहंुच गया। घाघरा के उतार चढ़ाव को देखकर लोग कभी भी जलस्तर में वृद्धि की शंका से सशंकित हैं। घाघरा का जलस्तर घटने के बाद भी मुक्तिधाम शवदाह स्थल पर लहरे सीधे टकरा रही है। सुरक्षा में लगे बोल्डरों में दरारे भी पड़ने लगी हैं। वहीं भारत माता मंदिर के पीछे नदी अभी भी बेरोकलिंग कर रही है, जिससे भारत माता मंदिर पर कटान का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही नगर के शाही मस्जिद, लोक निर्माण विभाग का डाक बंगला, डीह बाबा मंदिर, दुर्गा मंदिर, खाकी बाबा की कुटी सहित अन्य ऐतिहासिक धरोहरों पर कटान का खतरा बढ़ गया है। वही घाघरा नदी की तेज धारा में तटवर्ती इलाकों के खेती की जमीन नदी में विलीन हो रही है। बीबीपुर देवारा में घाघरा खेती योग्य भूमि को नदी के जद में लेना शुरू कर दिया है। तटवर्ती नवली, सरहरा, नईबाजार, चिऊटीडांड, रामपुर धनौली, बहादुरपुर, पतनई सहित आदि तटवर्ती इलाकों में घाघरा उपजाऊ भूमि को तेजी के साथ काट रही है। सिंचाई विभाग कटान रोकने के लिए बोल्डर गिरा कर कटान रोकने का दम्भ भर रहा। नवली गांव के शृंगेश साहनी, दिनानाथ यादव, बेचई, रामदास,घनश्याम, राहुल, अमित, शिवचरण सहित आदि ग्रामीणों ने कहा कि सिंचाई विभाग हर वर्ष कटान रोकने व धारा मोड़ने के नाम पर करोड़ों रूपये पानी में बहा देता है। लेकिन कटान पीड़ितों को आज तक कटान से निजात नहीं मिली है। गांव के समीप रिंग बन्धे की दूरी अब मात्र तीस मीटर रह गयी है। ग्रामीणों ने कटान रोकने का स्थाई प्रबंध करने की मांग किया है।
