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नाई समाज का भी हो उत्थान, मिले सामाजिक सुरक्षा

Mau News - मऊ में नाई समाज अपनी पहचान और सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। परिवार की जीविका को बनाए रखने के लिए उन्हें श्रमिक सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। नाईयों की मांग है कि उन्हें पंजीकरण और विशेष दर्जा...

Newswrap हिन्दुस्तान, मऊWed, 15 Jan 2025 11:53 PM
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नाई समाज का भी हो उत्थान, मिले सामाजिक सुरक्षा

मऊ। मनुष्य के जन्म से लेकर अंतिम समय तक विभिन्न अवसरों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला नाई समाज अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। कठिन श्रम कर परिवार का भरण पोषण कर रहे समाज को श्रमिक सुविधाओं का लाभ न मिलने का मलाल है। जिले में कोई नाईबाड़ा न होने से इनका कोई ठौर भी नहीं है। इनकी जिंदगी में झांकें तो इन्हें न सरकारी सुरक्षा दिखती है, न सामाजिक। अब इस वर्ग को भी तरक्की की उड़ान के लिए समाज और सरकार से मदद की दरकार है। नाई समाज कि भी मांग है कि इनके काम को देखते हुए पंजीकरण हो और कार्ड जारी कर योजनाओं का लाभ तो मिले ही, साथ ही विशेष दर्जा भी मिले।

जनपद में नाई समाज की आबादी लगभग दो लाख से अधिक है। वहीं, लगभग एक हजार से अधिक हेयर कटिंग सैलून हैं, जहां दो हजार से अधिक नाई हेयर कटिंग का काम करते हैं। इनमें अधिकतर परिवारों की रोजी-रोटी उनके इस पुश्तैनी धंधे पर ही टिकी है। दाढ़ी-बाल बनाकर परिवार की जीविका चलाने वाला समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। नाई समाज का कहना है कि उन्हें भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। सामाजिक और आर्थिक बदलाव के दौड़ में समाज आज भी खुद को पिछड़ा महसूस कर रहा है। अधिकतर लोगों की जिंदगी किराए के मकान और दुकान में ही कट रही है। साथ ही ग्रामीण अंचलों में जमीन पर भी बैठकर बाल और दाढ़ी बनाने का कार्य नाई समाज आज भी करता है। सैलून चलाने वाले संदीप कुमार ने कहा कि सरकार सभी समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ देती है, लेकिन हमारी दो जून की रोटी विरासत में मिले पेशे पर ही टिकी है। लोगों के घरों में होने वाले मांगलिक और अन्य कार्यक्रमों में परिवार के साथ हमारी मौजूदगी रहती है, बावजूद हमें सम्मान के साथ बुलाया तक नहीं जाता है। रामभजन शर्मा ने कहा कि नगर पालिका से लेकर नगर पंचायत तक बनने वाली दुकानों में नाई समाज को भी दुकानें आवंटित की जाएं, जिससे हम अपनी जिंदगी सम्मानजनक तरीके से गुजार सकें। छोटी सी दुकान की कमाई से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो जाता है। यदि घर में कोई बीमार पड़ जाता है तो इलाज के लिए भी हम लोगों को कर्ज तक लेना पड़ता है। वहीं, रामभवन बताते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन देने में ही तमाम दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। राहुल शर्मा का कहना है कि लोग लग्जरी सैलून में 1000 रुपये तक खर्च कर रहे हैं। लेकिन हम जैसे सैलून वालों की मटेरियल की महंगाई के चलते लागत बढ़ गई है। राजेश शर्मा का कहना है कि हम लोगों की शरीर की गंदगी को साफ कर उन्हें सुंदर बनाते हैं। इसके बाद भी हमें समाज से सम्मान नहीं मिलता है। सरकार की योजनाओं में भी बारबर के लिए अलग से कुछ नहीं है। बैंक में ऋण लेने गए तो कहा गया नाई लोगों को किस मद में लोन दिया जाए।

सेविंग के सामान पर महंगाई की मार

मऊ। नाई समाज शेविंग से लेकर कटिंग में उपयोग होने वाले सामान की महंगाई से परेशान हैं, जो शेविंग फोम तीन महीने पहले 170 रुपये में मिलता था। उसकी कीमत 280 रुपये पहुंच गई है। इसके साथ ही आफ्टर शेव लोशन की कीमतों में भी काफी इजाफा हो गया है। वहीं, अब ग्राहक ब्रांड को लेकर संजीदा हो गए हैं। अच्छे ब्रांड के सारे सेविंग लोशन 200 रुपये से अधिक कीमत के हैं। मंहगाई के चलते शेविंग की लागत बढ़ती जा रही है।

मेहनत के हिसाब से नहीं मिल रहा मेहनताना

मऊ। नाई समाज का दर्द है कि उन्हें मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिल रहा है। सामान्य तौर पर बाल कटिंग 40 से 60 रुपये है तो वहीं दाढ़ी शेव का 30 से 50 रुपये तक है। जिले के चुनिंदा बड़े सैलून को छोड़ दें तो आम सैलून में शेविंग और हेयर कटिंग की दरें पांच साल से नहीं बढ़ी हैं। गुरुवार और शनिवार को हेयर कटिंग कराने वाले नहीं के बराबर है। रविवार और बुधवार को अधिक भीड़ रहती है। ऐसे में पूरे महीने की आय से परिवार चलाना मुश्किल होता है।

गांवों में आज भी मिलता है जौरा

मऊ। जनपद के अधिकतर गांवों में आज भी बाल-दाढ़ी बनाने के बदले जौरा दिया जाता है। कुछ जगह नकदी भी है, लेकिन यह काफी कम है। नाई समाज के लोग कहते हैं कि गांवों में लोग अपनी मर्जी से मेहनताना तय कर देते हैं, जो अक्सर कम होता है। वहां न्यूनतम मजदूरी तय होनी चाहिए, तभी गांव का नाई समाज सम्मान के साथ गुजर-बसर कर सकेगा। वहीं, नाई के कार्य में बाहरियों की घुसपैठ से उनके सामने रोजगार का संकट गहराने लगा है। मेन्स पार्लर में नाई समाज के अधिकतर लोग मजदूर बनकर रह गए हैं। पार्लर में काम का रेट महंगा होता है, लेकिन आमदनी का बड़ा हिस्सा मालिक की जेब में जाता है।

नाई समाज को योजनाओं का नहीं मिल रहा पूरा लाभ

मऊ। जागरूकता की कमी के कारण नाई समाज सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं ले पा रहा है। समाज कल्याण विभाग मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, छात्रवृत्ति योजना आदि योजनाएं संचालित करता है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ हर वर्ग के ऐसे आवेदक जिनके परिवार की आय 2 लाख से अधिक न हो, ले सकते हैं। वहीं, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में ग्रामीण क्षेत्र में 46080 रुपये और शहरी क्षेत्र में 56460 रुपये वार्षिक आय वाले परिवार के कमाऊ सदस्य की मौत पर उत्तराधिकारी को एकमुश्त 30 हजार रुपये अनुदान मिलता है। प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना का लाभ नाई समाज को मिल सकता है। इसके लिए मासिक आय 15000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।

बोले नाई

ग्राहक गर्मियों में एसी और ठंड में ब्लोअर की अपेक्षा करते हैं, लेकिन सेविंग और कटिंग बढ़ने पर नाखुश हो जाते हैं, जबकि सैलून में सुविधा को लेकर काफी बढ़ोतरी हो गई है।

- जितेंद्र शर्मा।

जबतक हाथ में हुनर है काम मिलता है। एक उम्र के बाद हाथ कांपने पर नाई बेकार हो जाते हैं। हम लोगों के पास किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। इससे उपेक्षा का अहसास होता है।

- राशिद।

नाई समाज का सरकार को अलग से रजिस्ट्रेशन कर जरूरी सुविधाएं देनी चाहिए। हम लोगों के लिए अलग से नाईबाड़ा होना चाहिए, जिससे भविष्य सुरक्षित हो सके।

- राजू शर्मा।

पूरे जिले में दो हजार से अधिक हेयर कटिंग के काम में लोग लगे हुए है, लेकिन इनकी समाजिक सुरक्षा और प्रतिष्ठा का ख्याल किसी को नहीं है। हमें भी आयुष्मान कार्ड सुरक्षा सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले।

- नंदू शर्मा।

चुनाव आने पर नाई समाज की पूछ होती है, इसके बाद जनप्रतिनिधि नाई समाज की समस्याओं को भूल जाते हैं। नाई समाज के लिए भी सरकार को बेहतर पहल करनी चाहिए।

- महेश शर्मा।

देहात में आज भी जौरा पर नाई समाज के लोग घर जाकर बाल और दाढ़ी बना रहें हैं। ऐसे में देहात में भी न्यूनतम मजदूरी निर्धारित हो, जिससे लोगों का जीवन सुगमता से बीत सकें।

- अजीत शर्मा।

बोले जिम्मेदार

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में नाई समाज के लोगों को कारोबार शुरू करने के लिए जातिगत आधार पर प्रमाणपत्र देने की बात हुई थी, लेकिन अबतक अमल नहीं हुआ। साथ ही पिछड़ी जातियों में कैटेगरी के हिसाब से आरक्षण की मांग पूरी नहीं हो रही है। हाईकोर्ट ने इसपर निर्णय भी दे दिया है, जिसे लागू करने से ही समाज की भलाई हो सकती है। जल्द ही इस संबंध में सभी जनपदों में प्रदर्शन भी किया जाएगा।

- राजमणि प्रसाद शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय नाईमहासभा।

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