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रावण का वध होते ही गूंजे जय श्रीराम के जयकारे

दोहरीघाट ब्लाक क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में रविवार को विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। विजय दशमी के दिन बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत हुई, वहीं रावण का कुनबा खाक हो गया। कोरोना...

रावण का वध होते ही गूंजे जय श्रीराम के जयकारे
हिन्दुस्तान टीम,मऊMon, 26 Oct 2020 11:31 PM
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दोहरीघाट ब्लाक क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में रविवार को विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। विजय दशमी के दिन बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत हुई, वहीं रावण का कुनबा खाक हो गया। कोरोना महामारी व शासन के गाइडलाइंस का पालन करते हुए इस बार कहीं भी कोई बड़ा आयोजन नहीं हो सका। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से इस बार रावण का दहन नहीं किया गया।

श्री रामलीला समिति गोठा के तत्वावधान में आयोजित रामलीला में रविवार को शासन के गाइडलाइंस के मद्देनजर मंडी के दोनों गेटों को बन्द कर दिया गया था। गेट पर आने वाले लोगों का थर्मल स्क्रीनिंग, सेन्टाइज करना व जिनके पास मास्क नहीं था उन्हें मास्क पहनाकर अंदर प्रवेश कराया जा रहा था। रामलीला समिति की तरफ से कोरोना महामारी को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर व्यवस्था की गई थी। मंडी के अंदर कोई भी दुकान को नहीं लगने दिया गया। रविवार की बाजार को वहीं मंडी से बाहर लगवाया गया। मंडी प्रांगण में सिर्फ राम सेना व रावण सेना तथा अशोक वाटिका में बैठी सीता माता का पंडाल सजा हुआ था। विजयादशमी के अवसर पर मेले में शाम ढलते ही लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। जैसे-जैसे दिन ढलता गया मेले की खुमारी बढ़ती गई। विजयादशमी के दिन जब राम ने रावण की नाभि में भरे अमृत कलश को बाण से सुखाकर रावण का वध किया। पूरा मंडी प्रांगण जय श्रीराम के नारों से गुंजयमान हो उठा। इस दौरान रामलीला समिति के पदाधिकारि एव अन्य उपस्थित रहे।

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रामलीला में हुआ धनुष यज्ञ व राम विवाह का मंचन

कोरौली। बड़रॉव ब्लाक क्षेत्र के ग्राम सभा रेयाव में आयोजित पांच दिवसीय रामलीला के दूसरे दिन धनुष यज्ञ व राम विवाह का भावपूर्ण मंचन किया गया। मंचन देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे। इसमें रावण बाणासुर संवाद, राम के द्वारा धनुष भंजन, राम-सीता विवाह तथा लक्ष्मण-परशुराम संवाद के दृश्य को विशेष रूप से दिखाए गये। यज्ञ की रक्षा के दौरान जनकपुर में राजा जनक सीता के विवाह धनुष यज्ञ का आयोजन करते हैं, जहां निमंत्रण भगवान राम लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र के साथ गए। मिथिला के राजा जनक की यह प्रतिज्ञा थी कि जो भी वीर शिव के धनुष को तोड़ेगा, वह उसी के साथ अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देंगे। जब रावण जैसे बड़े-बड़े प्रतापी और पराक्रमी राजा भी धनुष तोड़ने में असफल रहे तो मुनि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान राम उठे और उन्होंने एक ही झटके से शिव धनुष को उठाकर तोड़ दिया। धनुष भंजन की प्रतिज्ञा पूरी होते ही सीता ने राम को वरमाला पहनाई। राम विवाह के दौरान बधाइयां व वैवाहिक गीत गाए गए। इस दौरान रामलीला समिति के पदाधिकारियों सहित अन्य उपस्थित रहे।

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आरती पूजन कर निभायी औपचारिक परंपरा

अमिला। श्री ठाकुर द्वारा रामलीला समिति अमिला के तत्वाधान में रविवार को देर शाम कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए समिति ने सोशल डिस्टेंस के तहत सरकार के गाइड लाइन का पूरी तरह पालन करते हुए औरचारिकता पूरी की। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र व लक्ष्मण जी, सीता, हनुमान जी का मेला मैदान में भक्तों ने आरती पूजन कर औपचारिक परंपरा का निर्वहन किया। तदोउपरान्त रावण की प्रतिमा में रामचन्द्र ने तरकस के तीर से मारते ही तेज आवाज के साथ धू-धू कर जल उठा। इस मौके पर पदाधिकारी के रूप में समिति के मंत्री आनंद मोहन राय, उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र गुप्त, अवधेश गुप्त, सुभाष साहू, बंटी जयसवाल, संदीप साहू, प्रभात शर्मा, संदीप चौरसिया, अनिल दुबे आदि मौजूद रहे।

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