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शंकराचार्य पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाना चाहता हूं: संजय खान

वृंदावन में चातुर्मास व्रत कर रहे द्वारका शारदापीठाधीश्वर एवं ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के दर्शन के लिए फिल्म अभिनेता तथा निर्देशक संजय खान पहुंचे। उन्होंने शंकराचार्य...

शंकराचार्य पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाना चाहता हूं: संजय खान
हिन्दुस्तान टीम,मथुराSat, 18 Aug 2018 12:24 AM
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वृंदावन में चातुर्मास व्रत कर रहे द्वारका शारदापीठाधीश्वर एवं ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के दर्शन के लिए फिल्म अभिनेता तथा निर्देशक संजय खान पहुंचे। उन्होंने शंकराचार्य का दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। भगवान आदि शंकराचार्य तथा परवर्ती शंकराचार्य परम्परा के विषय में संजय खान की जिज्ञासाओं का समाधान शंकराचार्य ने किया।

दावानल कुण्ड क्षेत्र स्थित उड़िया बाबा आश्रम में काफी लम्बे समय तक चली इस मुलाकात से निर्देशक संजय खान अभिभूत दिखे। संजय खान ने बताया कि शंकराचार्य से मिलकर उन्हें अलौकिक अनुभूति हुई। ऐसा लग रहा है कि मानो सतयुग के किसी ऋषि का दर्शन किया हो। क्या वे शंकराचार्य पर कोई सीरियल या फिल्म बनाने जा रहे हैं ? पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इतनी विस्तृत तथा तेजस्वी शंकराचार्य परम्परा को पर्दे पर उतारना बड़ा कठिन कार्य है। इनकी आध्यात्मिक विरासत को समझना सामान्य मनुष्य के लिए कठिन है। शंकराचार्य पर वे डाक्यूमैन्ट्री फिल्म बनाना चाहते है। इसके पश्चात प्रवचन के दौरान शंकराचार्य ने कहा कि भगवान सारभोगी है। वे फल-फूल आदि ग्रहण नहीं करते बल्कि उसे देखकर तृप्त होते है। आजकल हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए अफवाहे और पाखण्ड फैलाये जा रहे हैं। इनसे हमें सतर्क रहना है। मनुष्य में इतनी शक्ति नहीं है कि वह स्पर्श करके दूसरों के दु:ख और रोग दूर कर दे। यह शक्ति देवताओं में है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए जप-तप करना पड़ता है।

देवी पार्वती का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब देवी सती ने देह त्याग की तब भगवान शिव जानते थे कि वे हिमालय के यहाँ जन्म लेंगी फिर भी देवी को तपस्या करनी पड़ी और कठोर परीक्षायें देनी पड़ी। तब कही जाकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि देवता अपनी कृपा वर्षा आदि के रुप में देते हैं जिससे धरती उपजाऊ बनती है। मनुष्य को भगवान समझकर उनसे चमत्कार की आशा नहीं करनी चाहिए। देवों को प्रसन्न करना चाहिए। मनुष्यों को चमत्कारी बताकर हम समाज में पाखण्ड फैला रहे हैं।

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