गमगीन माहौल में हुआ डॉ. स्नेहा का अंतिम संस्कार
Mathura News - घर पर शव पहुंचते ही विलखकर रो पड़े परिजन गमगीन माहौल में हुआ डॉ. स्नेहा का अंतिम संस्कारगमगीन माहौल में हुआ डॉ. स्नेहा का अंतिम संस्कार

कानपुर के रामा मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को एक मरीज बच्चे को देखते समय अचानक मथुरा की डॉ. स्नेहा पाठक की मौत के बाद शनिवार शाम जैसे ही शव नटवर नगर धौलीप्याऊ स्थित घर पर पहुंचा, परिजनों की चीखपुकार और करुण क्रंदन सुन हर किसी की आंखें नम हो गयी। शव देखते ही परिजन बिलखकर रो पड़े। लोग परिजनों को ढांढस बंधाते रहे लेकिन वे लोग भी अश्रुधारा नहीं रोक सके जो परिजनों को संभालने की कोशिश कर रहे थे। डॉक्टर बेटी की शवयात्रा में सैकडों लोग शामिल हुए। उसका गमगीन माहौल में ध्रुव घाट श्मशान पर शाम को अंतिम संस्कार किया गया। बताते चलें कि कानपुर के रामा मेडिकल कॉलेज से मथुरा के नटवर नगर, धौली प्याऊ निवासी (मूल निवासी बाजना) जय प्रकाश पाठक की बेटी स्नेहा पाठक कानपुर के रामा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर इटर्नशिप कर रही थी। स्नेहा शुक्रवार दोपहर बाल रोग विभाग में एक बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करते समय अचानक अचेत हुई और उसकी मौत हो गयी थी। शनिवार शाम पोस्टमार्टम के बाद उसका शव नटवर नगर स्थित निवास पर लाया गया। शाम करीब 6:01 बजे शव लेकर जैसे ही एम्बुलेंस पहुंची, वहां पर चीख पुकार मच गयी। हर किसी की आंखें नम थीं। आधे घंटे बाद उसकी शवयात्रा ध्रुवघाट श्मशान के लिए निकली। इस दौरान सैकड़ों लोग मौजूद थे। उसका गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। स्नेहा के चाचा विकास पाठक ने मुखाग्नि दी। इस दौरान भाजपा नेता कृष्ण कुमार मुन्ना भैया, अरविंद शर्मा, संजय चतुर्वेदी, नरेन्द्र प्रधान, विनोद पाठक, डा. अनिल रावत, पवन उपाध्याय एडवोकेट,अनिल शर्मा, डा. ललित शर्मा आदि ने घर पहुंच परिवार को सांत्वना दी।
रोजाना सुबह-शाम करती थी मां से बात
स्नेहा कानपुर रह रही थी और रोजाना सुबह-शाम अपनी मां से फोन पर बात किया करती थी। वह 25 दिसंबर को घर आयी थी और 28 दिसंबर को वह स्नेहा को कानपुर छोड़ आये थे। पिता जयप्रकाश पाठक ने बताया कि शुक्रवार को भी सुबह स्नेहा ने सुबह अपनी मां को फोन कर बात की थी। कुछ घंटे बाद ही उसके बारे में मनहूस खबर मिल गयी।
दस मार्च को पूरी हो रही थी इटर्नशिप पूरी
एमबीबीएस करने के बाद स्नेहा पाठक रामा मेडिकल कालेज के विभिन्न विभागों में एक साल की इंटर्नशिप कर रही थी। पिता जय प्रकाश पाठक ने बताया कि बेटी की इंटर्नशिप 10 मार्च को पूरी हो रही थी, लेकिन इससे पहले ही मेधावी डा. स्नेहा की मौत हो गयी।
एमडी की कर रही थी तैयारी
पिता जय प्रकाश पाठक ने बताया कि बेटी एमडी की तैयारी कर रही थी। दस मार्च के बाद उसे एमबीबीएस की डिग्री मिलने के बाद एमडी करनी थी। बेटी इसकी तैयारी कर रही थी। हम लोग भी उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन बिटिया ने कहा पापा अभी एमडी करनी है, उसके बाद कुछ सोचना।
नहीं जले कॉलोनी में चूल्हे
शुरू से ही पढ़ने में मेधावी छात्रा रही स्नेहा पाठक बहुत ही सरल व मिलनसार व्यक्तित्व वाली थी। कॉलोनीवासी भी उससे बहुत स्नेह करते थे। जब भी आती थी, सभी से मिलती जुलती थी। उसकी मौत की सूचना मिलने के बाद कॉलोनी में शनिवार को चूल्हे तक नहीं जले। हर किसी की आंखों में आंसू थे।
दो बार टला कुंभस्नान का कार्यक्रम
स्नेहा के पिता जय प्रकाश पाठक ने रोते हुए बताया कि पिछले कुछ दिनों से घर में प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने के लिये जाने का कार्यक्रम बन रहा था। ट्रेवलर बस करके परिजन व वृद्ध पिता को साथ लेकर जाना था। दो बार प्रोग्राम बन कर टल गया। इसका कारण था कि बेटी स्नेहा चाहती थी कि परिवार के साथ कुंभ स्नान के साथ ही अयोध्या और बनारस भी दर्शन करने चलेंगे लेकिन उन्हें (पिता को) तीन तीन चार का दिन समय नहीं था, तो बेटी बोली वह चाचू के साथ चली जाएगी।
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