अनदेखी से जर्जर हो रहा मदनमोहन मंदिर
वृंदावन। वृंदावन के सात प्राचीन मंदिरों में से एक ठा. राधामदनमोहन मंदिर का कीर्तन भवन (जगमोहन) कभी भी धराशायी हो सकता...
वृंदावन के सात प्राचीन मंदिरों में से एक ठा. राधामदनमोहन मंदिर का कीर्तन भवन(जगमोहन)कभी भी धराशायी हो सकता है। मंदिर के छज्जों के पत्थर गिर रहे हैं। दीवार में दरारें आ गई हैं। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा मंदिर की अनदेखी करने पर महंत ने चिंता जाहिर की है। 500 वर्ष पुराना ठा. मदनमोहन मंदिर 1960 से एएसआई के संरक्षण में है। नगर का सबसे प्राचीन एवं ऊंचा मंदिर देखरेख के अभाव में जर्जर हालत में है। मंदिर की बाहरी दीवारें छह माह पूर्व कई जगह से धराशायी हो गई हैं, जिनकी मरम्मत एएसआई द्वारा नहीं कराई गई। मंदिर के प्राचीन इमारत से आए दिन पत्थर गिर रहे हैं। मंदिर का विशाल कीर्तन भवन जगमोहन में कबाड़ा रख दिया है। इस भवन की देखरेख और सफाई भी नहीं हो पा रही है। नतीजतन जगमोहन की दीवार और छत में लगे विशाल लाल पत्थरों में गलाव आ गया है। पत्थरों के बीच जोड़ खुल गए हैं, जिससे यह प्राचीन भवन कभी भी गिर सकता है। इस प्राचीन धरोहर नष्ट होने की आशंका बनी हुई है। मंदिर के महंत दीनबंधु दास ने कहा कि नगर के अति प्राचीन ठा. राधामदनमोहन मंदिर भले ही एएसआई के संरक्षण में हो, लेकिन मंदिर की दुर्दशा की अनदेखी लंबे समय से की जा रही है। परिणाम स्वरुप में आए दिन मंदिर की छज्जे, छत और दीवार से पत्थर टपक रहे हैं। कीर्तन भवन की दीवारों में बड़ी दरारें आ गई है। यह भवन कभी भी गिर सकता है। इस संबंध में कई बार एएसआई अधिकारियों को अवगत करा दिया है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है। यहां तक देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर का बोर्ड तक मंदिर परिसर और उसके आसपास नहीं है। मंदिर की पहचान और उसकी विशेषता, इतिहास के बारे में लोग जान सकें। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी रामरतन का कहना है कि प्राचीन मदनमोहन मंदिर की मरम्मत की योजना बन चुकी है। टेंडर ढाई माह पूर्व हो चुके हैं।