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अब सिर्फ बछिया ही जन्मेगी गाय

वैज्ञानिकों ने गायों का एक ऐसा सीमन तैयार किया है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान कराने पर गायें सिर्फ बछिया को ही जन्म देंगी। प्रदेश सरकार ने भी इसे मंजूरी दे दी है। वृंदावन मार्ग स्थित हासानंद गोशाला में...

अब सिर्फ बछिया ही जन्मेगी गाय
हिन्दुस्तान टीम,मथुराMon, 17 Dec 2018 12:31 AM
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वैज्ञानिकों ने गायों का एक ऐसा सीमन तैयार किया है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान कराने पर गायें सिर्फ बछिया को ही जन्म देंगी। प्रदेश सरकार ने भी इसे मंजूरी दे दी है। वृंदावन मार्ग स्थित हासानंद गोशाला में कृत्रिम गर्भाधान का यह प्रयोग करके देसी गायों का नस्ल संवर्धन शुरू किया गया है।

जनपद में बड़ी संख्या में वूल (बछड़े) बढ़ रहे हैं। ये गोवंश अब समस्या बनने लगे हैं। आवारा पशु न सिर्फ किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि बाजारों और रास्तों पर भारी नुकसान करते हैं। इसके समाधान को वैज्ञानिकों ने इस तरह का सीमन तैयार किया है, जिससे गर्भाधान कराने पर गायें सिर्फ बछिया को ही जन्म देंगी। इससे सांड़ों की संख्या भी नियंत्रित होगी और दुधारु गायों का नस्ल संवर्धन भी होगा। इस विधि से कृत्रिम गर्भाधान में 90 से 95 प्रतिशत सफलता का दावा भी किया जा रहा है।

प्रदेश सरकार ने इस सेक्स सॉर्टेड सीमन स्कीम (पशुओं में वर्गीकृत वीर्य प्रयोग की योजना) को मंजूरी भी दे दी है। पहले इसका प्रयोग इटावा, बाराबंकी जनपदों में हुआ था। यहां सफलता मिलने पर इसे प्रदेश के 75 जिलों में लागू किया गया है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा ब्लॉक मुख्यालय एवं पशु चिकित्सा केन्द्रों पर आम पशुपालकों के लिए यह 1200 रुपये में एक बार गर्भाधान के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।

सरकार द्वारा सभी पशुपालकों को एक बार गर्भाधान के लिए 1200 रुपये में सीमन दिया जा रहा है। उपलब्धता के अनुसार पशु चिकित्सा केन्द्रों पर सीमन उपलब्ध भी कराया जा रहा है। सीमन की खासियत यह है कि इससे गर्भाधान कराने पर अधिकांशत: गाय बछिया को ही जन्म देंगी। साथ ही उनकी नस्ल भी बेहतर होगी।

-डॉ. भूदेव सिंह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी

कृत्रिम गर्भाधान के लिए इस सीमन का प्रयोग करने वाली यह प्रदेश की पहली गोशाला है। यहां इस पर काफी काम हुआ है और अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

-सुनील कुमार शर्मा, सचिव, हासानंद गौशाला

हासानंद गोशाला में सफल प्रयोग

वृन्दावन स्थित हासानंद गोशाला में सीमन के इस प्रयोग को हाथों हाथ लिया गया है। यहां व्यापक स्तर पर इसका प्रयोग कर देसी गायों का नस्ल संवर्धन किया जा रहा है। यहां की सभी उच्चतर किस्म की देसी गायों पर इसका सफल प्रयोग हो रहा है। यहां कई बार पुणे, करनाल, आगरा आदि स्थानों से 300-400 सीमन के डोज मंगाए जा चुके हैं। गोशाला में इन्हें नाइट्रोजन सिलेंडर्स में रखा जाता है। ठीक समय पर इनसे गायों को कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है।

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