कमाई के लालच में लोगों की जान से खिलवाड़
मथुरा। अधिक कमाई के लालच में आम आदमी के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। इसके जिम्मेदार जहां ओवर लोड वाहन चलाने वाले हैं, वहीं पुलिस और एआरटीओ विभाग भी इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। क्योंकि उनके द्वारा...
अधिक कमाई के लालच में आम आदमी के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है। इसके जिम्मेदार जहां ओवर लोड वाहन चलाने वाले हैं, वहीं पुलिस और एआरटीओ विभाग भी इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। क्योंकि उनके द्वारा इस पर अंकुश न लगाने का ही परिणाम है कि उनके सामने ओवर लोड वाहन धड़ल्ले से दौड़ते हैं और वे आंखें बद किये रहते हैं।
राया-मथुरा रोड पर टैंकर और ऑटो के बीच हुई भिड़ंत में एक महिला सहित छह लोगों की मौत हुई है। एक ऑटो में 12 लोग भरे हों और पुलिस या एआरटीओ विभाग इसे कहीं चेक न करे तो इसे क्या कहेंगे। पुलिस और एआरटीओ विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
हादसा होने पर होती है औपचारिकता
जब भी कोई बड़ा हादसा होता है तो पुलिस और एआरटीओ विभाग ओवर लोडिंग के खिलाफ अभियान शुरू कर कर्त्तव्यनिष्ठ होने का दिखावा करने लगते हैं। जैसे जैसे समय गुजरता जाता है, हालात फिर बैसे ही हो जाते हैं। चंद दिन की सख्ती का परिणाम यह होता है कि डग्गेमार वाहन चालक कम सवारी का बहाना कर किराए में बढ़ोत्तरी कर देत हैं।
2013 में हादसे में 11 लोग हुए थे शिकार
मथुरा वृंदावन रोड पर 12 मार्च 2013 को बस और टेंपो की भिड़ंत में 11 लोगों की जान चली गई थी। इस दुर्घटना के बाद पुलिस और एआरटीओ विभाग की ओर से ओवर लोडिंग के खिलाफ अभियान शुरू किया गया। तत्कालीन एसएसपी ने ओवर लोडिंग के लिए संबंधित थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तय कर दी थी। इसका असर भी दिखाई दिया था। ऑटो टेंपो चालकों ने निर्धारित सवारियां बैठाना शुरू कर दिया था। इसके बाद ऑटो टेंपो चालकों ने किराया दो गुना कर दिया था। जैसे जैस समय गुजरता गया चालकों ने सवारियों की संख्या में इजाफा करना शुरू कर दिया। इसके बाद हालात वही पुराने ढर्रे पर आ गए, लेकिन बढ़ा हुआ किराया वाहन चालकों ने वापस नहीं लिया।
मुहिम का भी नहीं हुआ कोई असर
मथुरा-वृंदावन रोड पर बस की टक्कर से 11 लोगों की मौत हो जाने के बाद समाज सेवी और जीएलए के सेक्रेटरी सोसायटी नीरज अग्रवाल ने ओवर लोडिंग पर अंकुश लगाने के लिए मुहिम शुरू की थी। इसके लिए वह लगातार पुलिस प्रशासन को ज्ञापन देते आ रहे हैं। बावजूद इसके ऑटो, टेंपो, मिनी बसों में ओवर लोडिंग पर कोई अंकुश नहीं लग पाया है।
पुलिस की संरक्षण में होती है ओवल लोडिंग
ऑटो टेंपो चालकों को यातायात पुलिस और एआरटीओ विभाग का पूरा आर्शिवाद मिला हुआ है। जनपद भर में जिन भी चौराहे तिराहों से ऑटो टेंपो में सवारियां बैठाई जाती है वहां पुलिस पिकेट तैनात रहती है। लेकिन पुलिस इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती। नतीजा बड़े सड़क हादसे के रूप में सामने आता है।
हादसे के बाद भी नहीं जागी पुलिस
सोमवार शाम राया मथुरा रोड पर टैंकर व ऑटो की भिड़ंत में महिला सहित 6 लोगों की जान जाने के बाद भी पुलिस का ओवर लोडिंग पर कोई ध्यान नहीं गया। हादसे के बाद भी तमाम ऑटो, टेंपो और मिनी बस चालक क्षमता से अधिक सवारियां लेकर जाते दिखाई दिए।
हर रूट पर होती है ओवर लोडिंग
जनपद को कोई भी रूट ऐसा नहीं जिस पर ओवर लोड वाहन न दौड़ते हों। इनमें मथुरा वृंदावन रोड, गोवर्धन रोड, राया रोड, फरह रोड पर ओवर लोड वाहन दौड़ते नजर आते हैं। इनमें अधिकतर चालक पुलिस चौकी और थाने के निकट से सवारियां बैठाते हैं।
दो पहिया वाहन चालकों पर चलता है चाबुक
क्षमता से कई गुना अधिक सवारियां बैठाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से बचती पुलिस का चाबुक दो पहिया वाहन चालकों पर चलता है। तीन सवारी और बिना हेलमेट वालों के ही चालान किये जाते हैं।
जागरुकता अभियानों में किया जाता है दिखावा
पिछले माह नवंबर को यातायात पुलिस ने यातायात माह के रूप में मनाया था। इसके लिए कई जागरूकता अभियान चलाए गए। तब भी ओवर लोडिंग के खिलाफ कोई अभियान यातायात पुलिस द्वारा नहीं चलाया गया। पुलिस का सबसे अधिक जोर दो पहिया वाहन चालकों पर चला।