सुदामा चरित्र से सीखें जीने का तरीका: इंदुलेखा
नौहझील। भागवत विदुषी साध्वी इंदुलेखा ने कहा कि सुदामा जैसा मनीषी दुनियां में दूसरा कोई नहीं...
भागवत विदुषी साध्वी इंदुलेखा ने कहा कि सुदामा जैसा मनीषी दुनियां में दूसरा कोई नहीं हुआ। उन्होंने गरीबी में रहकर भी अपने स्वाभिमान को गिरने नहीं दिया। विपत्ति के समय में जीवन कैसे जिया जाता है? यह सुदामा चरित्र से सीखने को मिलता है।कस्बा स्थित रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ के विश्राम दिवस पर साध्वी ने भागवत महापुराण के विभिन्न गूढ रहस्यों से अवगत कराया। विदाई के वक्त समूचा कथा पांडाल भाव विभोर हो गया। उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रुधार बह निकली। मंच संचालक छेदा लाल पाठक ने कहा कि विदाई शब्द ही अपने आप में भावुक है। चाहे बेटी की विदाई हो या किसी सरकारी सेवा में कार्यरत व्यक्ति की विदाई का क्षण बेहद भावुक होता है। परीक्षित बने दिनेश स्वामी एवं उनकी पत्नी ने कथा व्यास को पूजन कर विदाई दी। उसके पश्चात एक-एक करके सभी भक्तों ने व्यासपीठ का पूजन किया। इस मौके पर पप्पू हलवाई, कृष्ण गोपाल वार्ष्णेय, मास्टर कुंज बिहारी, वेद प्रकाश पाठक, छोटे जिंदल, विनोद काका, प्रवीन कटारा, सुभाष चंद्र गुप्ता, ध्रुव पाठक, तोता राम अग्रवाल, राकेश अग्रवाल कपड़े वाले, हीरो सेठ, नहना सेठ आदि ने व्यासपीठ की आरती उतारी।