बोले मथुरा-स्कूलों के मर्जर से शिक्षा होगी जर्जर
Mathura News - बोले मथुरा-स्कूलों के मर्जर से शिक्षा होगी जर्जर राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर के विद्यालयों को

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश भर के विद्यालयों को मर्ज करने के फैसले से शिक्षा जगत में हड़कंप मचा हुआ है। भले ही उच्च न्यायालय ने इस पर फिलहाल अस्थाई रोक लगा दी हो, लेकिन यह माना जा रहा है कि अदालत से मामला निपटने के बाद सरकार मर्ज करके रहेगी। जनपद में बड़ी संख्या में विद्यालयों को मर्ज कर दिया जाएगा, जिसका सबसे बड़ा असर बच्चों और शिक्षकों पर पड़ेगा। इसे लेकर शिक्षक ही नहीं बच्चे और उनके अभिभावक परेशान हैं। वे चाहते हैं कि मर्ज न हों। यदि ऐसा हुआ तो कई गांवों में बच्चों को दूसरे गांवों में पढ़ने जाना पड़ेगा।
प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को इस निर्णय से सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय की दूरी दो से तीन किलोमीटर तक है। ऐसे में छोटे बच्चों के लिए यह दूरी अकेले तय करना न सिर्फ मुश्किल होगा, बल्कि उनकी सुरक्षा पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर देगा। बच्चों के माता-पिता पहले ही चिंतित हैं कि ऐसे हालात में वे अपने बच्चों को स्कूल भेज भी पाएंगे या नहीं। खासकर गरीब और ग्रामीण इलाकों के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से छिन जाने का खतरा बन गया है। केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षा मित्रों के सामने भी अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया है। मर्जर के बाद बहुत से शिक्षकों के स्थानांतरण की आशंका है, जिससे वे अपने वर्तमान विद्यालय या नौकरी को खो सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ राज्य भर के शिक्षक संगठनों और शिक्षा मित्रो ने मोर्चा खोल रखा है। संगठनों का कहना है कि सरकार को जमीन की सच्चाई समझनी चाहिए और ग्रामीण वंचित तबके के बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह मामला सिर्फ स्कूलों के विलय का नहीं, बल्कि भविष्य की पूरी पीढ़ी की शिक्षा और सुरक्षा से जुड़ा है। अब नजरें उच्च न्यायालय के फैसले और सरकार की अगली रणनीति पर टिकी हैं। विघालयों के मर्जर होने से शिक्षको को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। बच्चो को तीन चार किलो मीटर दूर जाना पड़ेगा, जिससे छोटे छोटे बच्चो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। विघालय मर्जर होने से शिक्षको को भी या तो स्कूल छोड़ना पड़ेगा नहीं तो काफी दूरी तय करनी पड़ेगी। विद्यालय के मर्ज होने पर गरीब बच्चों से विद्यालय दूर हो जाएंगे। बच्चों को विद्यालय आने-जाने में दिक्कत होगी। मर्जर होने पर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा मिलेगा। गरीब लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को कैसे पढ़ा पाएंगे। - राजकुमार चौधरी विद्यालयों के मर्जर होने से खास रूप से विद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब, मजदूरों के बच्चे शिक्षा से वंचित होंगे। साथ ही विद्यालयों में छात्र संख्या भी घट जाएगी, जिसका असर भविष्य की पीढ़ी पर पड़ेगा। - खेम सिंह विद्यालय मर्ज होने से गरीब बच्चे साधन के अभाव में स्कूल जाना छोड़ देंगे। छोटे बच्चों को दूर स्कूल होने के कारण अभिभावक भी स्कूल भेजना बंद कर देंगे। ये सुधार नहीं बल्कि बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का सरकार का तुगलकी फैसला है। - शिवकुमार सरकारी स्कूलों के मर्ज होने से निजी स्कूलों द्वारा और मनमर्जी की जाएगी। इससे किसान, गरीब, मजदूर वर्ग के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई की फीस भी नहीं भर पाएंगे। उनके बच्चों के लिए शिक्षा सिर्फ एक सपना बन कर रह जाएगी। - प्रहलाद सिंह, मांट यदि सरकार विद्यालयों को मर्ज कर रही है तो सरकार को भी निजी कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर बच्चों को लाने-ले जाने के लिए तत्काल स्कूल वाहनों की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए। - मधुवाला सरकारी स्कूलों के मर्ज होने से निजी स्कूलों द्वारा और मनमर्जी की जाएगी। इससे किसान, गरीब, मजदूर वर्ग के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई की फीस भी नहीं भर पाएंगे। उनके बच्चों के लिए शिक्षा सिर्फ एक सपना बन कर रह जाएगी। - प्रहलाद सिंह, मांट

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