मथुरा में कोरोना के चलते साधु-संतो की गोवर्धन परिक्रमा में रुकावट
उत्तर प्रदेश के मथुरा में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते स्थानीय साधु-संतो की दैनिक चलनेवाली गोवर्धन परिक्रमा में व्यवधान पड़ गया है। गोवर्धन के साधु-संतों समेत कम से कम 350 लोग ऐसे हैं जो समय...
उत्तर प्रदेश के मथुरा में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते स्थानीय साधु-संतो की दैनिक चलनेवाली गोवर्धन परिक्रमा में व्यवधान पड़ गया है। गोवर्धन के साधु-संतों समेत कम से कम 350 लोग ऐसे हैं जो समय निकालकर रोज गिरि गोवर्धन की या तो पूरी अथवा राधाकुंड की या आन्योर की तरफ की परिक्रमा करते हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान इनकी संख्या कम हो गई है फिर भी कम से कम 15० लोग नित्य परिक्रमा कर रहे थे। शुक्रवार से राधाकुंड परिक्रमा मार्ग का लगभग एक किलोमीटर का क्षेत्र हॉटस्पाट में आने के कारण मुख्य परिक्रमा करने में व्यवधान पड़ गया है जिसके कारण अब दैनिक परिक्रमा करनेवालों की संख्या घटकर काफी कम हो गई है पर संतो पर इसका कोई असर नही पड़ा हैं।
एक दिन में गिरार्ज की तीन परिक्रमा तक करनेवाले कृष्णदास बाबा ने शनिवार को यहां बताया कि राधाकुण्ड की परिक्रमा के मार्ग के कुछ भाग के हॉटस्पाट में आने का उन पर कोई असर नही पड़ा है तथा गोविन्दकुण्ड क्षेत्र में रह रहे लगभग 5० साधु संत ऐसे हैं जो लम्बे मार्ग से एक या दो अथवा तीन परिक्रमा रोज कर रहे हैं। उनका कहना था कि गोवर्धन की परिक्रमा उनकी ठाकुर आराधना है और वे चाहते हैं कि जीवन की अंतिम सांस तक उनकी ठाकुर की यह आराधना चलती रहे।उनका कहना था कि सनातन गोस्वामी की भांति यदि उन्हें ठाकुर के दर्शन हो जांय तो उनका जीवन धन्य हो जाएगा।
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जब जिला प्रशासन ने मुड़िया पूनो मेले को रद्द किया और गिरार्ज जी की सप्तकोसी परिक्रमा पर एक जुलाई से पांच जुलाई के मध्य रोक लगाई उस समय भी दैनिक परिक्रमा करनेवाले स्थानीय निवासियों तथा साधु संतों ने यह सोचा था कि वे आधी रात बाद या तड़के सामाजिक दूरी बनाते हुए कम से कम गुरूपूर्णिमा के दिन तो गिरि गोवर्धन की परिक्रमा कर ही लेंगे लेकिन छोटी परिक्रमा मार्ग का लगभग एक किलोमीटर क्षेत्र हॉटस्पाट में आने के कारण अब उनके मंशूबों पर पानी फिर गया है।
दानघाटी मंदिर के सेवायत आचार्य महेश शमार् ने बताया कि गिरार्ज जी की सप्तकोसी परिक्रमा एक बार में भी की जा सकती है तथा दो भागों में भी की जा सकती है क्योंकि इस परिक्रमा के दो भाग एक दूसरे से जुड़े भी हैं और अलग भी किये जा सकते हैं। इन दो भागों में से एक को बड़ी परिक्रमा या जतीपुरा की परिक्रमा कहते हैं जब कि दूसरी ओर की परिक्रमा केा राधाकुंड की परिक्रमा या छोटी परिक्रमा कहते हैं। बड़ी परिक्रमा का लगभग एक किलोमीटर क्षेत्र राजस्थान सरकार की सीमा में आ जाता है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर छोटी परिक्रमा के सेवायत गोविन्द कौशिक ने बताया कि गुरूवार को गोवर्धन के तीन दवा विक्रेताओं के कोविद संक्रमित हो जाने के बाद छोटी परिक्रमा का भी लगभग एक किलोमीटर लम्बा क्षेत्र हाटस्पाट में आ गया है जिसके कारण अब छोटी परिक्रमा में भी एक प्रकार से ग्रहण लग गया है तथा दैनिक परिक्रमा करनेवालों का नियम अब टूटना अवश्यमभावी है।यह बात दीगर है कि साधु संत लम्बा रास्ता चुनकर भी अपना दैनिक परिक्रमा करने का क्रम बनाए हुए हैं।
उन्होंने बड़े विश्वास से कहा कि गोवर्धनवासियों को अपने ठाकुर पर पूरा भरोसा है। द्वापर में कान्हा ने जिस प्रकार अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन को धारण कर इन्द्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी उसी प्रकार अब भी करेंगे और कोरोना का गोवर्धनवासियों पर विपरीत असर नही पड़ेगा क्योंकि यहां पर भक्ति अनवरत नृत्य करती है तभी तो कान्हा ने उद्धव से कहा था कि ”उद्धव , ब्रज मोहि बिसरत नाही।”