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फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन ने कूड़े से कर ली मित्रता

Mathura News - वृंदावन। स्वच्छ वृंदावन-हरित वृंदावन को लक्ष्य लेकर फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन अपने सीमित संसाधनों से ब्रज की सेवा में तत्पर है। विगत 25 वर्षों से फ्रेंड्स...

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराSat, 26 June 2021 04:40 AM
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फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन ने कूड़े से कर ली मित्रता

वृंदावन। स्वच्छ वृंदावन-हरित वृंदावन को लक्ष्य लेकर फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन अपने सीमित संसाधनों से ब्रज की सेवा में तत्पर है। विगत 25 वर्षों से फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन ब्रज वृंदावन के पर्यावरणीय संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा प्रदान कर रही है।

संस्था की स्थापना 1996 में हुई। तब नगर को स्वच्छ रखने के लिए नगर पालिका परिषद् के साथ कदम से कदम मिलाकर फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन ने हर गली, मौहल्ले में सफाई अभियान चलाया। आज से 25 वर्ष पूर्व यही एकमात्र स्वयंसेवी संस्था थी जिसने कूड़ा-करकट से श्रीधाम वृंदावन को मुक्त कराने के लिये आगे बढ़कर पहल की। संस्था निदेशक जगन्नाथ पोद्दार ने बताया कि पिछले 25 वर्षों में समय बदला एवं विकास की गति भी बढ़ी। जनसंख्या एवं आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पहले की तुलना में बहुत अधिक बढ़ी। परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए संस्था ने अपनी गतिविधि जारी रखने के लिये ‘सतत विकास का मॉडल अपनाया और कूड़े के ठोस प्रबंधन के लिए नई अपनाकर कार्य करना शुरू किया। पहले विभिन्न मंदिरों, देवालयों और आश्रमों से कूड़ा प्रमुख मार्गों में एकत्रित किया जाता था। वहां कूड़ा कई-कई दिनों तक पड़ा रहता था। फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन ने उन प्रतिष्ठानों से बातकर उन्हें अपने आश्रम एवं मंदिरों में ही कूड़ा एकत्रित करने को प्रोत्साहित किया।

बताया कि संस्था ने अपने साधनों से कूड़ा संग्रहण कर, कूड़ा निस्तारण हेतु उपलब्ध नीयत स्थान तक उसे पहुंचाया। जिससे कि मुख्य मार्ग में कूड़े के ढेर पर आवारा पशु एकत्रित नहीं होते तथा एकत्रित कूड़े की दुर्गन्ध से भी लोगों को मुक्ति मिली। उन्होंने बताया कि संस्था ने समय-समय पर अलग-अलग क्षेत्रों को स्वच्छता के लिये गोद लिया। सन् 2005 में फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन ने ही सबसे पहले डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण का मॉडल बनाकर एक मिसाल पेश की। जिसे नगर निगम प्रशासन ने अस्तित्व में आने पर शुरू किया। उन्होंने बताया कि स्वच्छता एवं कूड़ा संग्रहण ही नहीं अपितु कूड़ा पुर्नचक्रीकरण के लिए संस्था ने एक सूक्ष्म मॉडल प्रस्तुत किया है। संस्था कुछ मंदिरों से उपयोग किए हुए फूल-मालाओं को एकत्रित करती है फिर उसे वर्मीकम्पोस्ट (जैविक खाद) बनाती है। साथ ही रद्दी कागज पुर्नचक्रीकरण कर हैण्ड मेड पेपर बनाया जाता है। जिसका प्लांट संस्था के कार्यालय में स्थापित है।

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