अब गांव में किसान समूहों की बनेगी अपनी मंडी
प्रदेश में किसान समूह अब ग्रामीण स्तर पर कृषक उत्पादक संघ बनाएंगे। जो किसान और मंडियों के बीच मध्यस्थता और ग्रामीण मंडी का कार्य करेंगे। मंडी टैक्स के दायरे से बाहर ये संघ किसी से भी फसल खरीदकर कहीं...
प्रदेश में किसान समूह अब ग्रामीण स्तर पर कृषक उत्पादक संघ बनाएंगे। जो किसान और मंडियों के बीच मध्यस्थता और ग्रामीण मंडी का कार्य करेंगे। मंडी टैक्स के दायरे से बाहर ये संघ किसी से भी फसल खरीदकर कहीं भी बेच सकेंगे। जनपद से ऐसे करीब आधा दर्जन आवेदन भेजे गए हैं।
अमूल डेयरी सोसायटी की तर्ज पर खुलने वाले फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) का किसानों द्वारा गठन होगा। किसान समूहों की खुद की मंडी का कार्य करने वाला यह संघ किसानों की फसलें एकत्रित कर मंडी, व्यापारी अथवा कहीं भी खरीद-बेच सकेगा। इनको मंडी टैक्स से पूरी छूट मिलेगी। मंडियों में फसल बेचने को इन्हें स्टॉल दी जाएंगी। कृषि विभाग में भी इनका पंजीकरण होगा। इन्हें देशभर में ऑनलाइन फसल बेचने को ई-नाम योजना की भी सुविधा मिलेगी। इसका खर्चा किसानों को आपस में बराबर बांटना होगा।
अब तक 1200 आवेदन
प्रदेश सरकार की ओर से इनके लिए मांगे गए आवेदनों की संख्या अब तक करीब 1200 तक पहुंच गई है। इनमें करीब 212 स्वीकृति हो चुके हैं। जनपद से इसके लिए करीब आधा दर्जन आवेदन भेजे गए हैं।
दक्षिण भारत में संचालित
कृषक उत्पादक संघ योजना का दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल सहित कई राज्यों में सफल संचालन किया जा रहा है। वहीं अब गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी इसे शुरू किया जाना प्रस्तावित है।
संघ और उसके बोर्ड का संगठन
किसान छोटे-बड़े समूह में गांव से जनपद स्तर तक एक संघ बनाएंगे। इसके संचालन को एक बोर्ड गठित करेंगे। जिसमें चेयरमैन, डायरेक्टर, सचिव, लेखाकार आदि पदाधिकारी व सदस्य होंगे।
बोले मंडी सचिव..
इसका सर्वाधिक लाभ छोटे किसानों को होगा। जिनकी फसल गांव में ही औने-पौने दामों में बिकती थीं। अब उनकी फसल किसी भी कीमत पर सरकारी मूल्य से नीचे नहीं बिक पाएगी।
-सुनील कुमार शर्मा, सचिव, कृषि उत्पादन मंडी समिति