आसानी से दर्ज नहीं होगी दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट
महिला अपराध व घरेलू हिंसा के मामलों में प्राय: दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग के भी मामले सामने आते रहते हैं। अब दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराना आसान नहीं होगा। इसके लिए पीड़िता या उसके परिजनों को...
महिला अपराध व घरेलू हिंसा के मामलों में प्राय: दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग के भी मामले सामने आते रहते हैं। अब दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कराना आसान नहीं होगा। इसके लिए पीड़िता या उसके परिजनों को जिला जज के आदेश पर गठित फैमिली वेलफेयर कमेटी का सामना करना होगा। इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही पुलिस मामला दर्ज करेगी।
इतना ही नहीं, अदालत भी दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करने के सीधे आदेश नहीं कर सकेगी। ऐसा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद संभव हुआ है। जिला जज के आदेश पर दीवानी न्यायालय परिसर में तीन सदस्यीय फैमिली वेलफेयर कमेटी का गठन कर दिया गया है। दहेज के लिए विवाहिता का उत्पीड़न करने की शिकायत को न्यायालय अथवा पुलिस इस कमेटी के पास भेजेगी। कमेटी शिकायत पर सुनवाई करेगी। किसी भी शिकायत को कमेटी एक माह में निस्तारित करेगी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।
मौत के बाद सीधे दर्ज होगी रिपोर्ट
नई व्यवस्था में दो मामलों को अलग रखा गया है। दहेज की खातिर विवाहिता की हत्या या उसे गंभीर रूप से चोट पहुंचाए जाने की शिकायत को पुलिस कमेटी के पास नहीं भेजेगी। शिकायत मिलने पर पुलिस सीधे रिपोर्ट दर्ज कर लेगी।
सुलह समझौते का होगा प्रयास
पुलिस या न्यायालय से मिलने वाली सभी शिकायतों पर कमेटी दोनों पक्षों को सुनेगी। समझौते का प्रयास करेगी। दोनों ओर के तर्क सुनने के बाद कमेटी जो निर्णय देगी, पुलिस उस पर कार्रवाई करेगी।
एक हजार से अधिक मामले लंबित
दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न के एक हजार से अधिक मामले जनपद न्यायालय में लंबित हैं। कमेटी गठन के बाद इनमें कमी आने की उम्मीद है।
दो सैकड़ा लोग जेल में हैं बंद
दहेज उत्पीड़न या दहेज हत्या के आरोप में दो सैकड़ा से अधिक लोग जिला कारागार में बंद हैं। इनमें करीब 40 महिलाएं भी शामिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला जज ने फैमिली वेलफेयर कमेटी का गठन कर दिया गया है। हालांकि पुलिस की ओर से कोई मामला कमेटी के समक्ष अभी तक नहीं भेजा गया है।
संजय यादव, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण