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डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किए देवकीनंदन ठाकुर

श्रीमद्भागवत और श्रीराम कथाओं से विश्व में सनातन धर्म व अध्यात्म का प्रचार कर रहे देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज को बेंगलुरु में यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया है। बेंगलुरु...

डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किए देवकीनंदन ठाकुर
हिन्दुस्तान टीम,मथुराSat, 18 Jan 2020 12:34 AM
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श्रीमद्भागवत और श्रीराम कथाओं से विश्व में सनातन धर्म व अध्यात्म का प्रचार कर रहे देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज को बेंगलुरु में यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया है। बेंगलुरु में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान बुधवार को ग्लोबल ट्राइम्प वर्चुअल यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. संजीव बंसल एवं एडवाइजर डा. नवल किशोर शर्मा ने देवकीनंदन महाराज को डॉक्टरेट ड्रेस कोड पहनाकर मेडल तथा सर्टिफिकेट प्रदान किए।

यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. संजीव बंसल ने कहा कि मानव जीवन से जुड़ी कई समस्याओं का निदान अध्यात्म और धर्म के चिंतन में मिलता है। प्राचीन भागवत कथा एवं प्रसंग वर्तमान समय में भी व्यवहारिक रूप से मानव को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य करते हैं। देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज देश-दुनिया में अध्यात्म एवं भागवत कथाओं के माध्यम से शांतिपूर्ण संदेशों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी से मिले सम्मान को अपनी मां को समर्पित करते हुए भागवत वक्ता देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने कहा कि यह कृष्णभक्तों के अथाह प्रेम और सनातन धर्म के संदेश का सम्मान है। बता दें कि विश्व शांति सेवा चैरीटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में 10 से 16 जनवरी तक बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को कथा का छठवां दिन था। इस अवसर पर संस्था सचिव विजय शर्मा, विष्णु शर्मा, बेंगलुरु समिति के मुकेश कुमार, सुरेश जांगिड, संतोष महाराज, आरडी बरवाड़िया, महेश कुमावत, संजय अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

पहले भी मिल चुकी हैं कई उपाधि

देवकीनंदन महाराज को पूर्व में भी कई उपाधियों से अलंकृत किया जा चुका है। श्री ज्योतिष पीठ-शारदापीठ जगद्गुरू शंकराचार्य की ओर से ‘धर्मरत्न, काशीविद्त परिषद से ‘सनातन धर्म संरक्षक की उपाधि प्रदान की गई। अखिल भारतीय बुद्धिजीवी सम्मेलन में ‘यूपी रत्न एवं ‘ग्रेट सन ऑफ इंडिया एवं अन्य संस्थाओं ने धर्म एवं सामाजिक सेवा कार्यों के लिये सम्मानित किया है।

17 वर्ष की अवस्था से कर रहे हैं भगवद् कथा

बाल्यावस्था में वृंदावन की रासलीला में श्रीराधा-कृष्ण स्वरूप धारण करने वाले देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने मात्र 17 वर्ष की उम्र में ही भागवत कथा कहना शुरू कर दिया था। उन्होंने सन् 1997 में दिल्ली से प्रेरणादायी कथाओं का प्रारम्भ किया जो आज तक अनवरत चल रहा है। आज देश के विभिन्न स्थानों के अलावा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आध्यात्मिक प्रवचन एवं भगवद् कथाओं का प्रचार कर रहे हैं।

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