Critical Shortage of Medical Resources at Farah Community Health Center बोले मथुरा-कैसे हो पाएगा इलाज, फरह स्वास्थ्य केंद्र खुद है बीमार, Mathura Hindi News - Hindustan
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बोले मथुरा-कैसे हो पाएगा इलाज, फरह स्वास्थ्य केंद्र खुद है बीमार

Mathura News - कैसे हो पाएगा इलाज, फरह स्वास्थ्य केंद्र खुद है बीमार फरह क्षेत्र के करीब

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराSun, 7 Sep 2025 06:51 PM
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बोले मथुरा-कैसे हो पाएगा इलाज, फरह स्वास्थ्य केंद्र खुद है बीमार

फरह क्षेत्र के करीब एक सैकड़ा से अधिक गांवों की आबादी के बीच फरह में पं. दीनदयाल उपाध्याय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। जहां एक तरफ विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है तो संसाधनों की कमी से भी यह स्वास्थ्य केंद्र जूझ रहा है। वहीं गांवों में बने कई उप स्वास्थ्य केंद्रों पर भी ताले लटके हुए हैं। हाल यह है कि वर्षा के मौसम में तो इस स्वास्थ्य केंद्र का हाल यह हो जाता है कि जलभराव के कारण न तो इस स्वास्थ्य केंद्र से कोई बाहर आ सकता है और ना ही बाहर से अंदर जा सकता है। फरह में रोजाना औसतन करीब 200 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं, लेकिन स्वास्थ्य सेवा लचर होने के कारण इसका सही लाभ उन्हें नहीं मिल पाता।

इसके अलावा आये दिन इस केंद्र के कुछ कर्मियों पर आरोप भी लगते रहते हैं। जिसके कारण क्षेत्र के लोगों को झोलाझाप डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ती है या फिर अच्छे इलाज के लिये आगरा, मथुरा जाकर महंगा इलाज लेना पड़ता है। फरह में संचालित प़ं दीनदयाल उपाध्याय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण करीब ढाई दशक पूर्व कल्याण सिंह की सरकार के दौरान हुआ था। ढाई दशक बाद फरह विकासखण्ड की जनंसख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी हो गई लेकिन फरह स्वास्थ्य केन्द्र में इस अवधि में न तो सुविधाएं बढ़ीं और न ही किसी प्रकार की इमारत का नवनिर्माण हुआ। इसके साथ ही अस्पताल में संसाधनों एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। गांवों में बने कुछ उप स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटके रहते हैं तो वहीं फरह स्वास्थ्य केंद्र भी कुछ स्टाफ द्वारा डिलीवरी के नाम पर पैसे लेने या कर्तव्यों में लापरवाही को लेकर चर्चाओं में बना रहता है। कई केंद्रों पर लटके हैं ताले:फरह सीएचसी के साथ साथ जनता की सुविधा के लिये फरह ब्लॉक में 3 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (बेरी, झुडावई व ओल में) हैं। प्रत्येक पीएचसी पर 1 डॉक्टर, 1 फार्मासिस्ट, 1 वार्डबॉय, 1 एलटी व 1 सफाईकर्मी की तैनाती होती है, लेकिन स्टाफ कम होने के कारण इन पर भी जनता को पूरी सुविधा नही मिल पा रही है। इसी प्रकार फरह ब्लॉक में 26 एसएचसी हैं, जिनमें एक-एक एएनएम की तैनाती रहनी चाहिए लेकिन कभी कभार ही ये केंद्र खुलते हैं। कुछेक जैसे बरौदा, पींगरी आदि पर तो काफी समय से ताले लटके हुए हैं। इनके अलावा सलेमपुर, दौलतपुर आदि सहित आधा दर्जन गांवों में नए उप स्वास्थ्य केंद्र किराए की इमारतों में संचालित हैं, लेकिन देखने वाला कोई नहीं है। फरह सीएचसी पर विशेषज्ञ डाक्टरों के पद खाली हैं, जिससे मरीजों की उचित देखभाल नहीं हो पाती है। सरकार को इस तरह के सभी सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी पूरी करनी चाहिए, जिससे गरीबों को लाभ मिल सके। - संजय अग्रवाल, गड़ाया लतीफपुर फरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड, ब्लड बैंक जैसी बुनियादी सुविधाएं भी होनी चाहिए, जिससे गंभीर मरीजों को रेफर न करना पड़े। फरह अस्पताल में अल्ट्रासॉउन्ड मशीन तो है, लेकिन इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। - प्रह्लाद सिंह, रोसू गढ़ी फरह अस्पताल में कभी-कभी जरूरी दवाएं उपलब्ध न होने से मरीजों को परेशानी होती है और उन्हें निजी डॉक्टरों या दूसरे अस्पतालों में जाना पड़ता है। अस्पताल के कुछ डाक्टर भी बाहर की दवाएं लिखते हैं, जिससे गरीब मरीजों को परेशानी होती है। - राजेन्द्र सिंह, दौलतपुर सरकारी अस्पताल राज्य के स्वास्थ्य सेवा तंत्र का एक महत्वपूर्ण आधार हैं, लेकिन अधिकांश आज दुर्दशा का शिकार हैं। फरह अस्पताल में भी बिजली, और पानी की कमी से मरीज परेशान रहते हैं। अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती को सुनिश्चित हो। - अवतार सिंह, फतिहा फरह ब्लॉक की करीब दो लाख आबादी के बीच एकमात्र फरह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है। उस पर भी दवाओं, डाक्टरों की कमी है। जिससे गंभीर बीमार मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता है और मरीजों को कई बार दूसरे निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। - भगवान सिंह, बरौदा अस्पताल के शौचालयों में में गंदगी रहती है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को परेशानी होती है। स्वास्थ्य केंद्र पर सफाई व्यवस्था में सुधार के लिए प्रयास किये जाने चाहिए। - रौतान सिंह, पींगरी

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