व्यवहार और परमार्थ सिखाती है भागवत : गुरुशरणानंद
वृंदावन। आचार्य कुटी पर चल रहे अष्टदिवसीय श्रीमदभागवत जयंती एवं श्रीराधा जन्म महामहोत्सव अंतर्गत संत-विद्वत संगोष्ठी का आयोजन किया...
सेवाकुंज स्थित आचार्य कुटी पर चल रहे अष्टदिवसीय श्रीमदभागवत जयंती एवं श्रीराधा जन्म महामहोत्सव अंतर्गत संत-विद्वत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें संतों ने श्रीमदभागवत की महत्वता के साथ मानव जीवन में भगवद भक्ति की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज ने कहा कि भगवत और भागवत धर्म की विशेषता है कि यह व्यवहार और परमार्थ दोनों सिखाती है। भगवान पहले योग और फिर भोग दोनों का विनियोग कराते हुए जीव को निष्कपट बना देते हैं। उन्होंने कहा कि कृष्ण कथा ही मानव का परमधर्म है।जगदगुरु स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीराधा भगवान श्रीकृष्ण की अचिन्मय व आल्हादिनी शक्ति है। राधा की उपासना के बिना कृष्ण की भक्ति संभव नहीं है। कहा कि भगवद भक्ति का आधार ही ब्रज की आराध्य राधारानी है। स्वामी यदुनंदनाचार्य ने कहा कि मन की चंचल प्रवृत्ति जब समाप्त होती है, तब भगवत और भागवत कृपा स्वतः ही बरसने लगती है। इस अवसर पर दिनेश गोस्वामी, भक्तमाल दास, सत्यनारायण शास्त्री, मधुर कंठक, कृष्णकांत शास्त्री, वेदांताचार्य, आनंद, विशालकृष्ण शास्त्री आदि उपस्थित थे।