ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश मथुराबदहाल पार्क : हरमिलाप पार्क की पहचान है पानी की टंकी

बदहाल पार्क : हरमिलाप पार्क की पहचान है पानी की टंकी

वृंदावन। पार्क में लोग हरियाली के बीच खुली हवा में टहलने पहुंचते हैं। पार्क में आने का उद्देश्य लोगों का यह रहता है कि पेड़-पौधों के बीच में शुद्ध...

बदहाल पार्क : हरमिलाप पार्क की पहचान है पानी की टंकी
हिन्दुस्तान टीम,मथुराSun, 13 Jun 2021 03:51 AM
ऐप पर पढ़ें

वृंदावन। पार्क में लोग हरियाली के बीच खुली हवा में टहलने पहुंचते हैं। पार्क में आने का उद्देश्य लोगों का यह रहता है कि पेड़-पौधों के बीच में शुद्ध वातावरण मिलेगा, लेकिन वृंदावन स्थित हरमिलाप पार्क में पेड़-पौधे के स्थान पर खड़ी है पानी की टंकी और यहां बना दिया है सुलभ शौचालय। हरिनिकुंज चौराहा बांकेबिहारी कॉलोनी स्थित हरमिलाप पार्क की हकीकत यही है।

लगभग एक हजार वर्ग गज में फैले इस पार्क में किसी समय में विभिन्न प्रकार के पेड़- पौधे हुआ करते थे लेकिन वर्तमान में यहां आपको पेड़-पौधों के नाम पर मात्र दो वृक्ष ही नजर आएंगे। एक पीपल का और दूसरा बरगद का। इन दो वृक्ष के अलावा हरमिलाप पार्क में किसी प्रकार के पौधे नहीं दिखेंगे। नाम भले ही इसका पार्क है लेकिन इस पार्क का वजूद बिल्कुल समाप्त होने के कगार पर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हरमिलाप पार्क तो कब का समाप्त हो चुका होता यदि इस पार्क में पीपल और बरगद का वृक्ष नहीं होता। क्यूंकि इन वृक्षों की हिन्दू धर्म में मान्यता है इसलिए इनका अस्तित्व बचा हुआ है।

लोगों का आरोप है कि पार्क के संरक्षण का प्रयास कभी नहीं किया गया। बल्कि पार्क के वजूद को मिटाने का जब भी मौका मिला तो प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि कभी चूके नहीं। आज हरमिलाप पार्क के बहुत बड़े हिस्से में पानी की टंकी बनी हुई है और लगभग एक वर्ष पूर्व पार्क के बचे कुछ हिस्से में सार्वजनिक सुलभ शौचालय का निर्माण नगर निगम द्वारा करा दिया गया है। जबकि मात्र कुछ मीटर की दूरी पर हरमिलाप पार्क के नजदीक दो सुलभ शौचालय पहले से ही बने हुए हैं। स्थानीय लोगों ने हरमिलाप पार्क को पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से बचाने के लिए पानी की टंकी और सुलभ शौचालय के निर्माण को रोकने के लिए भी आपत्ति जताई थी लेकिन लोगों की आपत्ति को दरकिनार कर दिया गया।

हरमिलाप पार्क पूर्व नगरपालिका परिषद कार्यकाल में सीमेंटेड कर दिया गया। जिसके चलते उसमें पौधरोपण नहीं हो पा रहा है। वहीं जल निगम द्वारा पानी की टंकी भी पार्क में बना दी गई है जो आज तक चालू भी नहीं हुई है। उसने भी पार्क की काफी जमीन को घेर लिया और अब अधिकारियों द्वारा पार्क में सुलभ शौचालय बना दिया गया। पार्क की शेष जगह भी घिर गई। ऐसे में पौधरोपण करने के लिए जगह ही नहीं बची है।

-मुन्ना लाल निषाद, क्षेत्रीय पार्षद

कई दशक पुराने इस हरमिलाप पार्क में कई संरक्षित वृक्ष थे। यदि उनका संरक्षण किया जाता तो आज पीपल और बरगद के वृक्ष की तरह उनका भी अस्तित्व इस पार्क में देखने को मिलता, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते हरमिलाप पार्क का वजूद ही आज मिटने के कगार पर पहुंच चुका है। पार्क के नाम पर पेड़-पौधे की जगह पानी की टंकी और सुलभ शौचालय आज इसकी पहचान बन चुके हैं। यह हरमिलाप पार्क का दुर्भाग्य है।

-रमेश पुजारी

कहीं से भी देखने से यह पार्क नहीं लगता है । सीमेंटेड टाइल्स का फर्श और इसकी चारदीवारी से लगता है कि एक पार्क को नहीं बल्कि एक भूखंड को संरक्षित किया। पार्क के स्वरूप को पूरी तरह से मिटा कर रख दिया गया है। पार्क को मिटाने वाले कोई और नहीं नगर निगम के अधिकारी ही हैं। पार्क में अब असामाजिक तत्व बैठे रहते है। जो जहां बैठकर नशीले पदार्थों का सेवन करते देखे जा सकते हैं।

-गिरधारी शर्मा

शादी करके जब मैं अपनी ससुराल में आई और वट वृक्ष की पूजा करने के लिए पहली बार जब मैं पार्क में आई थी तब इस पार्क में जगह-जगह विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे थे लेकिन मेरे देखते ही देखते कुछ सालों में हरमिलाप पार्क से पेड़ पौधे पूरी तरह से गायब हो चुके हैं। बहुत दुख होता है कि पेड़ पौधों से भरा रहने वाला यह पार्क वर्तमान में सीमेंटेड हो चुका है। पेड़-पौधे लगाकर दुबारा से इस पार्क को बचाया जा सकता है लेकिन ऐसा होगा, यह मुझे लगता नहीं है ।

-शालू शर्मा

कॉलोनी में पार्क होने पर हरियाली का वातावरण बना रहता था, लेकिन हरमिलाप पार्क का वजूद जैसे-जैसे खत्म होता जा रहा है वैसे वैसे क्षेत्र से हरियाली के साथ-साथ शुद्ध वातावरण के साथ शुद्ध वायु बिल्कुल खत्म सी हो गई है। पार्क को बचाने के लिए कई बार आवाज उठाई लेकिन किसी की ने नहीं सुना और आज वर्षों पुराने पार्क में बस केवल दो पेड़ देखने को मिलते हैं।

-मल्लिका शर्मा

पार्क में खेलने के लिए बहुत मन करता है लेकिन पार्क में पेड़ पौधे तो है ही नहीं बल्कि पानी की टंकी और सीमेंटेड फर्श ही देखने को मिलता है। जिसमें जाने में भी डर लगता है। पार्क में बच्चे खेलने-कूदने के लिए जाते हैं, लेकिन हरमिलाप पार्क में ऐसा कुछ कर भी नहीं सकते। मुझे बहुत बुरा लगता है कि घर के सामने पार्क होने पर भी मैं उसमें जा नहीं पाता हूं । हम बच्चों के लिए पार्क को बेहतर बनाना चाहिए।

-जयेश पंडित

मैंने किताबों में भी पढ़ा है कि पार्क बच्चों के लिए होता है लेकिन जब हरमिलाप पार्क को देखती हूं तो मुझे लगता है कि मेरी किताबों में लिखी बातें झूठी हैं। क्योंकि पार्क में तो एक भी बच्चा जाता हुआ दिखाई नहीं देता बल्कि इसमें अन्य कई लोग बीड़ी सिगरेट पीते हुए दिखाई देते हैं। कई बार जब पार्क में जाने की कहती हूं तो सब मुझे वहां जाने से मना कर देते हैं। यह केवल नाम का पार्क है । उसमें पेड़-पौधे और झूले कुछ भी नहीं है ।

-ऋति गौतम

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें