नौकरी पाने के समय पात्रता की सिद्ध, अब क्यों किया जा रहा बाध्य
Mainpuri News - मैनपुरी। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने सेवारत शिक्षकों के लिए टेट की अनिवार्यता आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया।

उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ ने सेवारत शिक्षकों के लिए टेट की अनिवार्यता आदेश के विरोध में प्रदर्शन किया। संघ के पदाधिकारियों ने कलक्ट्रेट पर पहुंचकर प्रधानमंत्री के नाम राजस्व अधिकारी ध्रुव शुक्ला को ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने कहा कि कोर्ट के आदेश से बेसिक शिक्षकों में भय व्याप्त है। मांग की गई कि कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर शिक्षक हित में अधिनियम में बदलाव किया जाए। महिला शिक्षक संघ ने भी बीएसए कार्यालय पर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा जिलाध्यक्ष गोविंद पांडेय ने कहा कि सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता से देश तथा प्रदेश का लाखों बेसिक शिक्षक प्रभावित हो रहा है जबकि उस शिक्षक ने नियुक्ति के समय सभी विभागीय सेवा शर्तें पूरी कर अपनी पात्रता सिद्ध की थी।
वर्षों तक सेवा देने के बाद अब सेवाकाल के अंतिम पड़ाव में पुनः पात्रता सिद्ध करना निश्चित रूप से कठिन होगा। जिससे शिक्षक समाज भयग्रस्त है। महामंत्री राज किशोर यादव ने कहा कि एनसीटीई की अधिसूचना में सेवारत शिक्षकों को मुक्त रखते हुए 23 अगस्त 2010 से टेट लागू किया गया। जिसे बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में भी लागू कर दिया गया था। फिर लगभग डेढ़ दशक बाद कोर्ट ने किसी संशोधित नियम के आधार पर सेवारत शिक्षकों पर भी टेट लागू कर दिया, जबकि उस संशोधन के विषय में शिक्षकों को या उनके संगठन को कोई जानकारी नहीं दी गई। महिला शिक्षक संघ की प्रिया चौहान के नेतृत्व में शिक्षिकाओं ने बीएसए कार्यालय जाकर पीएम के नाम ज्ञापन दिया। इस दौरान शालिनी चतुर्वेदी, शैलजा राठौर, संजू मिश्रा, सीमा यादव, लता शाक्य, संध्या जार्ज, दीप्ती दीक्षित, क्षमा भदौरिया, सरिता जादौन, रश्मी चौहान, कंचन लता, रेखा सिंह, रूपाली रस्तोगी, पुष्पा चौहान, शशि यादव आदि मौजूद रहीं।
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