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हाईकोर्ट की सख्ती से हिल गईं पुलिस महकमे की जड़ें

दो वर्ष बाद छात्रा की मौत ने पुलिस महकमे की जड़ें हिला दीं। किसी को उम्मीद नहीं थी कि जनहित याचिका पर हाईकोर्ट इतना बड़ा संज्ञान ले लेगा। निश्चित रूप...

हाईकोर्ट की सख्ती से हिल गईं पुलिस महकमे की जड़ें
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,मैनपुरीFri, 17 Sep 2021 04:41 AM
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दो वर्ष बाद छात्रा की मौत ने पुलिस महकमे की जड़ें हिला दीं। किसी को उम्मीद नहीं थी कि जनहित याचिका पर हाईकोर्ट इतना बड़ा संज्ञान ले लेगा। निश्चित रूप से मैनपुरी पुलिस की इस पूरे मामले में बड़ी लापरवाही निकलकर सामने आयी है। एक ऐसी लापरवाही जिसके लिए पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी को लगातार दो दिन हाईकोर्ट के सामने पुलिस का पक्ष रखना पड़ा। हालांकि हाईकोर्ट की सख्ती के बाद तत्कालीन एएसपी और सीओ सस्पेंड कर दिए गए। अब अन्य आधा दर्जन पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।

16 सितंबर 2019 को भोगांव के नवोदय विद्यालय के एक कमरे में फांसी पर लटकी मिली नाबालिग छात्रा की मौत भले ही दो साल बाद रहस्य के घेरे में हो लेकिन हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाकर ये तो तय कर दिया कि मैनपुरी पुलिस ने इस मामले में घटना के बाद से ही लापरवाही की। पंचनामा और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाए। साथ ही ये सवाल भी खड़ा किया कि आखिर ऐसी कौन से वजह रही जिसके चलते दो वर्षों में पुलिस एफआईआर में दर्ज आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर सकी। आखिर पुलिस के ऊपर किसका दबाव था, जिसने पुलिस को गिरफ्तारी जैसा काम नहीं करने दिया। जबकि हत्या, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज था। इन मामलों के आरोपियों की गिरफ्तारी तत्काल हो जानी चाहिए थी। लेकिन मैनपुरी पुलिस ने ऐसा नहीं किया।

आखिर क्या सच छिपा रही है पुलिस

मैनपुरी। छात्रा की मौत हत्या है या आत्महत्या ये सवाल मैनपुरी के लोगों की जुबान पर है। पुलिस ने भले ही हत्या की धारा घटना के दो माह बाद विवेचना में हटा दी। पुलिस ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने की धारा को विवेचना में बरकरार रखा। लेकिन लोग ये भी जानना चाहते हैं कि छात्रा की मौत हत्या नहीं है तो फिर उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले लोग कौन हैं और उन लोगों पर अब तक कार्रवाई न होने की वजह भी क्या है। लोग ये भी कह रहे हैं कि पुलिस इस मामले में सच छिपाने की कोशिश कर रही है। एक ऐसा सच जो छात्रा को न्याय दिला सकता है।

प्रियंका गांधी ने भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर उठाए थे सवाल

मैनपुरी। 16 सितंबर को छात्रा का शव बरामद होने के बाद दिल्ली से लेकर लखनऊ तक छात्रा की मौत का मामला गूंजा। मैनपुरी के आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस प्रकरण से अवगत कराया था। मुख्यमंत्री ने पुलिस को मामले में जल्द कार्रवाई करने के निर्देश ही नहीं दिए बल्कि आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआईटी भी बना दी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी मैनपुरी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।

घटना के ढाई माह बाद 28 नवंबर को प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मैनपुरी की बिटिया को न्याय दिलाने की मांग की थी। सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखे गए पत्र में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। उन्होंने अपने पत्र में पहले ही सवाल में लिखा था कि पंचनामे में मृतका के शरीर पर चोट के निशान पाए गए। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट की आशंका नहीं जताई गई। जबकि मृतका के परिवार वाले हत्या की बात कह रहे हैं। प्रियंका ने ये भी कहा था कि पीड़ित परिवार को ये जानने का हक है कि उनकी बेटी के साथ क्या घटना घटी और इस घटना के पीछे कौन लोग हैं।

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