असमंजस में दूल्हे, शादी में फूफा बुलाएं या मामा
कोरोना संकट फिर से वापस आएगा इसकी चर्चाएं तो थी लेकिन लोगों को यह बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि शादी समारोह में कोरोना की बंदिशें व्यवधान पैदा करेंगी।...
कोरोना ने शहनाई पर भी बंदिशें लगा दी हैं। मेहमानों की संख्या पर ब्रेक लगने से दूल्हे संकट में पड़ने लगे हैं। शादी के कार्ड बंट गए हैं। अब मना कैसे करें। रिश्तेदार रोकें कि दोस्त-यार। बड़े संकट से पड़े हैं। सरकार ने फिर से शादी समारोहों में 200 के स्थान पर 100 लोगों को बुलाने की शर्त लगा दी है। टेंट-शामियाना, बैंड-बाजा, सजावट, खान-पान, फूल-माला, दोना-पत्तल आदि का व्यवसाय करने वालों के सामने सहालग फिर से फीका होने की स्थिति बन गई है।
इस बार नवंबर के माह के बाद दिसंबर में भी गिनती का सहालग है। गर्मियों के सहालग में शादियां सीमित हुईं। लोगों ने सर्दियों की सहालग के लिए शादियां टाल दीं। नवंबर शुरू होने से पहले तक हालात सामान्य नजर आ रहे थे। उम्मीद थी कि अब कोरोना परेशान नहीं करेगा। यही वजह थी कि सरकार ने भी शादियों में मेहमानों की संख्या 200 कर दी थी लेकिन अब फिर से 100 लोगों को शादियों में बुलाने की बंदिश लगा दी गई है। हालांकि इस बंदिश का शासनादेश अभी मैनपुरी प्रशासन के पास नहीं आया है लेकिन माना जा रहा है कि कोरोना इसी कदर बढ़ा तो यहां भी 200 के स्थान पर 100 लोग ही शादियों में शामिल हो सकेंगे। टेंट व्यवसाई रूपकिशोर का कहना है कि इस साल तो कोरोना ने पूरा कारोबार चौपट कर दिया है। उधार लेकर जरूरत की चीजें पूरी कर रहे हैं। यही हाल बैंड वालों का है।
बैंड वालों के सामने पेट भरने का संकट
मैनपुरी। बैंड चलाने वाले असलम कहते हैं कि पिछले वर्ष सहालग में एक भी बार बैंड नहीं बजा पाए। उनके बैंड में 40 से अधिक लोग जुड़े हैं। सभी के सामने पेट भरने का संकट है। सीमित संख्या होने के कारण लोग अब बैंड की बुकिंग नहीं कर रहे हैं। जो बुकिंग पहले से थी वह अब निरस्त होने लगी है। शादियों में खाना तैयार करने वाले रामप्रसाद बताते हैं कि अब सीमित संख्या के चलते खाना भी कम बनाया जा रहा है। जिसके चलते हलवाईयों के कुनबे में भरण-पोषण की समस्या पैदा हो गई है।
हजारों के फूल की होती थी खरीदारी
मैनपुरी। पत्तल-दोने बेचने वाले अरविंद बताते हैं कि सहालग की बिक्री न के बराबर है। फूल-माला बेचने वाले धर्मेंद्र का कहना है कि समारोहों में खूब बिक्री होती थी। शादियों में लोग हजारों रुपये के फूल फेंकते थे। अन्य खरीदारी भी होती थी लेकिन अब हालात अच्छे नहीं है। हालांकि इस तरह के कारोबार से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि सरकार उनकी परेशानी समझेगी और शर्तों की बंदिशों को ध्यान में रखेगी ताकि इस वर्ग के लोग भी परिवार के भरण-पोषण के संकट का शिकार न हां।
फिजूलखर्ची बंद, सादगी से होने लगी शादियां
मैनपुरी। शादियों में शर्तों की बंदिशें रहेंगी इसकी उम्मीद लोगों को नहीं थी। फिजूलखर्ची का रोना पहले रोया जाता था जो अब सच साबित होने लगा है। कोरोना के चलते शादियों में सीमित संख्या हो गई है जिसके चलते खर्चे कम हो रहे हैं। बहुत धूम-धड़ाका बंद हो गया है। सादगी के साथ शादियां हो रही हैं। एक वर्ग इसका स्वागत कर रहा है वहीं कुछ लोग कोरोना को कोस रहे हैं। बदलाव इस कदर है कि दूर के रिश्तेदारों को भी नहीं बुलाया जा रहा है। बाद में कोरोना का हवाला देकर उन्हें समझाया जा रहा है। कुछ लोग तो शादियों के कार्ड भी अब नहीं छपवा रहे हैं। फोन पर ही खास-खास लोगों को शादी का न्यौता भेजा जा रहा है।