Thousands of Indian Tourists Return Home Amid Violent Protests in Nepal नेपाल की हिंसा में दर्द भरे अनुभव के साथ भारत लौट रहे सैलानी, Maharajganj Hindi News - Hindustan
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नेपाल की हिंसा में दर्द भरे अनुभव के साथ भारत लौट रहे सैलानी

Maharajganj News - नेपाल में जेन-जी समूह के नेतृत्व में चल रहे हिंसक आंदोलन में फंसे हजारों भारतीय पर्यटक अब अपने देश लौट रहे हैं। काठमांडू और पोखरा में कर्फ्यू और झड़पों के बीच, लगभग ढाई हजार पर्यटक सोनौली सीमा के...

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजSat, 13 Sep 2025 12:57 AM
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नेपाल की हिंसा में दर्द भरे अनुभव के साथ भारत लौट रहे सैलानी

सोनौली, हिन्दुस्तान संवाद। नेपाल में जेन-जी समूह के नेतृत्व में चल रहे हिंसक आंदोलन की आग में फंसे हजारों भारतीय पर्यटक अब अपने देश लौटने लगे हैं। काठमांडू, पोखरा समेत कई प्रमुख शहरों में कर्फ्यू और भीषण झड़पों के बीच फंसे पर्यटकों ने दर्द भरे अनुभव साझा किए हैं। शुक्रवार की शाम तक लगभग ढाई हजार पर्यटक और नेपाली नागरिक सोनौली सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश कर चुके हैं। गाजीपुर के रमेश ने बताया कि नेपाल की अचानक भड़कती हिंसा और अराजकता के कारण उनकी यात्रा दुःस्वप्न बन गई थी। हरियाणा से छह लोगों की टीम के साथ पशुपतिनाथ मंदिर घूमने गए भीम सिंह व राजाराम शेखावत ने कहा कि वे नेपाल पहुंचते ही आंदोलन शुरू हो गया।

होटल में कैद रहना पड़ा, बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं था। राजस्थान से काठमांडू व पोखरा घुमने आए पर्यटक सीता शर्मा और दिनेश चोखानी ने भी अपनी भयभीत परिस्थितियों का वर्णन किया। बताया कि एक सप्ताह के टूर पर आए थे। लेकिन नेपाल में हिंसक प्रदर्शन शुरू होने की वजह से एक ही जगह सिमट कर रहे और आखिरकार जान बचाकर किसी तरह भारतीय सीमा में आए हैं। नेपाल की यह यात्रा जिंदगी भर नहीं भूलेगी। मुंबई से आए राम सिंह ने बताया कि वे और कुछ साथी 17 से 20 हजार रुपए तक टैक्सी किराया देने को विवश हुए, क्योंकि अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं थे। टैक्सी चालकों ने भी पर्यटकों की मजबूरी का फायदा उठाकर काठमांडू से सोनौली तक भारी किराया वसूला। भारत लौटने के बाद राहत महसूस कर रहे यात्री नेपाल में छुट्टी जाने के बाद वहां हिंसक विरोध प्रदर्शन में फंसे नेपाली मूल के भारतीय कामगार काम पर लौटना शुरू कर दिए हैं। तुंग बहादुर ने बताया कि वह दिल्ली में काम करते हैं। काठमांडू उनका घर है। उनका कहना था कि सत्ता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ठीक है, लेकिन उसकी आड़ में सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने को किसी भी तरीके से उचित नहीं कहा जा सकता। चार दिन के विरोध प्रदर्शन ने नेपाल को एक दशक पीछे ढकेल दिया है।

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