हजार रातों से अफजल है शबेकद्र की रात
Maharajganj News - महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। रमजान का महीना साल के सभी महीनों में सबसे अफजल

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। रमजान का महीना साल के सभी महीनों में सबसे अफजल और बरकत वाला महीना है। इस महीने की शबेकद्र की रात इतनी अफजल है कि इसे हजार रातों से अफजल माना गया है। क्योंकि इस रात में इंसान अपनी इबादत की बदौलत अपने गुनाहों को माफ कराकर जन्नत में जगह बना सकता है।
मदरसा अरबिया अताउर्रसूल मस्जिदिया ढाला के प्रधानाचार्य मौलाना मोहम्मद सेराजुद्दीन कहते हैं कि इस महीने सभी शैतानों को लोहे की जंजीरों में जकड़ दिया जाता है। हर मोमिन के सिर पर एक फरिश्ता रहमत का तबक लिए पूरे माह खड़ा रहता है। इस उम्मीद के साथ कि इफ्तार के समय रहमत की वह थाली अपने बंदे पर निसार कर दे। रमजान के महीने में एक नेकी का सत्तर सवाब और फर्ज नमाजों के बराबर सवाब मिलता है। रमजान के तीन अशरे हैं। पहला अशरा रहमत का, दूसरा मग्फिरत का और तीसरा अशरा दोखज से आजादी का। रमजान के आखिरी अशरे की 21, 23, 25, 27, व 29वीं रातों में शबेकद्र की तलाश होती है। अक्सर ओलमा का मानना है कि रमजान की 27वीं रात ही शबेकद्र की रात है जो अपने साथ तमाम अजमतों को समेटे हुए आती है। शबेकद्र में कुरान की एक आयत पढ़ना अन्य रातों में पूरा कुरान पढ़ने के बराबर है। जो कोई इस रात में सूरत-अल-कद्र सात बार पढ़ता है, तो अल्लाह उसे हर बला से महफूज फरमाता है। और सत्तर हजार फरिश्ते उसके लिये जन्नत की दुआ करते हैं। रोजेदारों को चाहिए कि इस अजीम रात को बेकार न गुजारें और इबादत करें। इस अजीम रात के लिये ग्यारह अरकान हैं।
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