Nepal Violence Disrupts Pitra Paksha Pilgrimage for Many पितरों का तर्पण करने में नेपाली हिंसा रोक रही राह, Maharajganj Hindi News - Hindustan
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पितरों का तर्पण करने में नेपाली हिंसा रोक रही राह

Maharajganj News - नेपाल में जारी हिंसा और बिगड़े हालात के कारण पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने के लिए गए नेपाली नागरिकों को काशी और गया नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। सीमाओं पर सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी जांच के चलते...

Newswrap हिन्दुस्तान, महाराजगंजThu, 11 Sep 2025 01:02 PM
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पितरों का तर्पण करने में नेपाली हिंसा रोक रही राह

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। नेपाल में जारी हिंसा और बिगड़े हालात ने आस्था व परंपरा पर भी गहरा चोट पहुंचाया है। हर साल पितृपक्ष में अपने पितरों का तर्पण करने गया और काशी जाने वाले नेपाली नागरिकों के पांव इस बार रुक गए हैं। किसी तरह तो लोग सीमा तक आ भी रहे हैं, लेकिन उन्हें भारत में एंट्री नहीं मिल रही है। इक्का-दुक्का लोग परिचय पत्र आदि दिखाकर जाने में सफल हुए बताए जाते हैं। पितृपक्ष पितरों का दिन होता है। इन दिनों में अपने पितरों को विधि-विधान से पूजा जाता है। पुरानी मान्यता के अनुसार गया और काशी में पितरों के तर्पण का बहुत बड़ा महत्व है।

नेपाल से बहुत बड़ी संख्या में लोग पितृपक्ष में गया और काशी पहुंचते हैं। लेकिन इस बार पितृपक्ष में ही नेपाल के बिगड़े हालात ने सबकुछ रोक दिया है। नेपाल में कर्फ्यू लगने के कारण और कई दिनों से चल रहे आंदोलन के कारण लोग घरों से निकल नहीं पा रहे हैं। वहीं लम्बी दूरी के साधन नहीं चलने से भी भारतीय सीमा तक लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं। भैरहवा से सकुनी चौधरी और रामराज मिश्रा गया जाने के लिए सोनौली सीमा पर पहुंचे थे। इन लोगों का कहना रहा कि सुरक्षा एजेंसियों से बहुत अनुरोध किया गया। परिचय पत्र और सब जांच कराई गई। पितृपक्ष का महत्व बताकर मनुहार की गई, तब जाकर उन्हें जाने की अनुमति मिली। दूसरी ओर सोनौली सीमा पर लखनऊ से आए अशोक वर्मा की पोखरा में रहने वाली बुआ का निधन हो गया था। अपनी बुआ के निधन के बाद अशोक वर्मा पोखरा जाना चाहते थे। लेकिन नेपाल के हालात की वजह से सोनौली में सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें नेपाल में जाने की अनुमति नहीं दी। मन मारकर अशोक वर्मा वापस लखनऊ लौट गए। इसी क्रम में सोनौली सीमा पर पहुंचे सावित्री, जगत विश्वकर्मा, दिलीप वर्मा, आजम आदि बहुत से भारतीय किसी न किसी आयोजन में शामिल होने नेपाल के अपने रिश्तेदारों के यहां जाना चाहते थे। लेकिन किसी को कोई अनुमति नहीं मिली और सब बैरंग वापस लौटने को विवश हो गए।

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