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घर से पैसा मंगा खरीदी साइकिल, नाप दी डेढ़ हजार किमी की दूरी

लॉकडाउन में बेबसी की कहानियां अंतहीन होती जा रही हैं। बड़े शहरों में रोजी-रोटी के लिए गए मजदूरों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। घर पहुंचने की जद्दोजहद में डेढ़-डेढ़ हजार किमी साइकिल चलाकर और पैदल लोग...

घर से पैसा मंगा खरीदी साइकिल, नाप दी डेढ़ हजार किमी की दूरी
हिन्दुस्तान टीम,महाराजगंजMon, 11 May 2020 10:00 PM
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लॉकडाउन में बेबसी की कहानियां अंतहीन होती जा रही हैं। बड़े शहरों में रोजी-रोटी के लिए गए मजदूरों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। घर पहुंचने की जद्दोजहद में डेढ़-डेढ़ हजार किमी साइकिल चलाकर और पैदल लोग घरों को पहुंच रहे हैं। कुछ ही ऐसी बेबसी झेलकर कोल्हुई क्षेत्र के ग्राम इलाहावास के छह कामगार अपने घर पहुंचे हैं। भुसावल से 16 दिन लगातार साइकिल चलाकर। लॉकडाउन में कंपनी बंद हो गई तो एक-एक दिन काटना मजदूरों के लिए मुश्किल हो गया था। लोगों के सहयोग से कुछ दिनों के लिए मजदूरों को राशन मिल गया। लेकिन लॉकडाउन बढ़ने पर मजदूरों की आस टूट गई। सभी मजदूर अपने कमरे से पैदल ही घर के लिए निकल गए। सभी मध्यप्रदेश के भुसावल तक पैदल ही पहुंचे। पर पैरो में छाले पड़ गए तो मजदूरों ने मजबूरी में घर से पैसा मंगा कर साइकिल खरीद लिया। मजदूर कठिन मेहनत करके किसी तरह 16 दिनों में घर पहुंचे परिजनों ने राहत की सांस ली। महराजगंज जिले के कोल्हुई क्षेत्र के इलाहावास के मजदूर सुकुरुल्लाह, सलाउल्लाह, जमील, शकील, तवरेज, जमील व विनोद लॉकडाउन के पहले महाराष्ट्र के भिवंडी शहर में रोजी-रोटी के लिए गए थे। जब सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया तो सभी अपने कमरे में रहने को मजबूर हो गए। कुछ दिन तक तो राशन पानी मिल गया। लेकिन लॉकडाउन बढ़ने के साथ मुश्किल बढ़ गई तो अन्तत: हार मानकर सभी मजदूर 25 अप्रैल को पैदल ही गांव के लिए निकल गए, लेकिन 3-4 दिन की कठिन पैदल यात्रा के बाद पैरो में छाले पड़ गए और हिम्मत जवाब देने लगा। इसके बाद साइकिल से निकले।

पांच दिनों में किसी तरह मुंबई से पहुंचा घर

घुघली। घुघली के वार्ड नंबर 11 निवासी लालसाहब मुंबई में आर्केस्ट्रा कलाकार है। लॉकडाउन में उसे अपने भाई की बीमारी की खबर मिली तो वह परेशान हो गया। किसी तरह रास्ते में ट्रक से लिफ्ट लेकर वह भोपाल पहुंचा। वहां से दूसरे ट्रक से सोमवार की भोर में कुशीनगर के हाटा। हाटा स्थित अपनी मौसी के घर से साइकिल मंगाकर दोपहर घुघली पहुंचा, लेकिन अपने भाई का अंतिम दर्शन नहीं कर सका। उसके भाई की पहले ही बीमारी से मौत हो चुकी थी। घर न पहुंचकर सीधे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचकर उसने जांच कराई और फिर क्वारंटीन हो गया।

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