फूलों की खेती करते-करते कर ली कांटों से दोस्ती, नूर आलम के पाक कनेक्शन से घरवाले भी सन्न
- फूलों की खेती में पिता का हाथ बंटाते-बंटाते नूर आलम ने कब कांटों से दोस्ती कर ली इस बात का पता घर वालों को नहीं चल सका। जल्दी अमीर बनने की चाह उसे गलत राह पर लेकर चली गई।
फूलों की खेती में पिता का हाथ बंटाते-बंटाते नूर आलम ने कब कांटों से दोस्ती कर ली इस बात का पता घर वालों को नहीं चल सका। जल्दी से अमीर बनने की चाह उसे गलत राह पर लेकर चली गई। उस पर देश के वैज्ञानिक संस्थानों से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को पाकिस्तान तक पहुंचाने का आरोप लग गया है। पैसों की लालच में वह इन जानकारियों को टेलीग्राम चैनल व डर्कवेब के जरिए निजी ग्रुप पर साझा करता रहा। आखिरकार वह यूपीएटीएस के हत्थे चढ़ गया।
बलरामपुर जिले के सादुल्लाह नगर क्षेत्र का गांव है भेलया मदनपुर। यहां की आबादी लगभग 300 है। यहां के निवासी सफात अली जर्जर मकान में रहते हैं। उनकी पत्नी शकीला लकवाग्रस्त हैं। उनके चार पुत्र हैं, जिसमें नूर आलम सबसे बड़ा है। सफात अली के पास चार बीघा जमीन है, जिसमें वह फूलों की खेती करते हैं। चार साल पहले नूर आलम हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद मुंबई चला गया था। वहां वह पीओपी का काम करने लगा। मन ऊबा तो वह अब्बा सफात अली के पास घर लौट आया। वह अपने पिता की फूलों की खेती में हाथ बंटाने लगा।
सफात अली के मुताविक नूर आलम अक्सर दिल्ली जाया करता था, लेकिन फूलों के खेती का सीजन शुरू होते ही घर लौट आया करता था। वह जब भी घर लौटता तो सफात को 10 से 20 हजार रुपए देता था। छोटे भाई असगर अली की मानें तो नूर आलम को स्मार्ट फोन चलाने का शौक था। काम से फुरसत मिलते ही वह पफ्जी व लूडो खेलने में जुट जाता था। उसकी किसी से गहरी दोस्ती नहीं थी और वह अपने काम से काम रखता था। सफात अली बताते हैं कि नूर आलम मिलनसार प्रवृत्ति का युवक है। उसका गांव में किसी से कभी कोई विवाद नहीं हुआ।
क्या बोली पुलिस
थाना प्रभारी मनोज कुमार ने कहा कि यूपीएटीएस अपना काम कर रही है। स्थानीय पुलिस का उससे कोई लेना देना नहीं है। सादुल्लाह नगर थाना में नूर आलम के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज है।
नूर आलम पर क्या हैं आरोप
- वैज्ञानिक संस्थानों से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों को टेलीग्राम चैनल व डार्कवेब के जरिए निजी ग्रुप पर साझा करना।
- बदले में क्रिप्टो कैरेंसी व यूपीआई के जरिए लाखों की रकम वसूलना।
- दो साल के बीच इस काम से दस लाख रुपए की वसूली करना।
- अपना पेड निजी ग्रुप बनाना जिसमें देश- विदेश के लगभग 70 लोगों को जोड़ना।
- ग्रुप में दर्ज अधिकांश पाकिस्तानियों के नम्बर मिलना।
- ऐप के जरिए विदेशी लिंक बनाना।
- बीपीएन आर्बोट टॉर ब्राउजर का इस्तेमाल कर डाटा डाउनलोड करना।
- डाटा साझा के लिए निजी चैनल बनाना।
- अपने मोबाइल में पहचान छिपाने के लिए कई ऐप बनाना।
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