सीमैप की मदद से जैविक खेती को बढ़ावा देंगे
गौशालाओं से जीवामृत लेकर खाद में प्रयोग के चलन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए उद्यान विभाग, आयुष और ग्राम्य विकास विभाग सीमैप के साथ मिलकर कार्य करेंगे। मंडल के छह जिलों में पायलट परियोजना के तहत...
गौशालाओं से जीवामृत लेकर खाद में प्रयोग के चलन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए उद्यान विभाग, आयुष और ग्राम्य विकास विभाग सीमैप के साथ मिलकर कार्य करेंगे। मंडल के छह जिलों में पायलट परियोजना के तहत कार्य होगा। कमिश्नर ने गुरुवार को इस आशय के निर्देश दिए हैं। साथ ही आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए औषधीय पौधों की खेती का कार्य भी होगा।
पिकनिक स्पॉट रोड स्थित केन्द्रीय औषधि एवं सगंध पौधा संस्थान खुर्रम नगर में कमिश्नर मुकेश मेश्राम की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी और सीडीओ मनीष बंसल भी मौजूद रहे। कमिश्नर ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के बाद से आयुर्वेदिक पद्धति की लोकप्रियता बढ़ी है। मंडल के जिलों में ऊसर, बंजर और परती जमीनों को मनरेगा से उपयोगी बनाया जा सकता है। साथ ही औषधीय पौधों की खेती शुरू की जा सकती है। कमिश्नर ने कहा कि किसानों का प्रशिक्षण कराकर उनको उन्नत किस्म के पौध वितरण किया जाए। जीवामृत का उपयोग कराते हुए कृषि कार्य किया जाए। औषधीय कृषि उत्पाद की प्रोसेसिंग कराने के बाद सही दाम पर बाजार में पहुंचाया जाए। बैठक के बाद कमिश्नर ने नर्सरी, मानव उपवन आदि का निरीक्षण किया।
स्टार्टअप उद्यमियों को जोड़ेंगे
जीवामृत मी मदद से उपजे औषधीय पौधों के उत्पाद पेशेवर तरीके से बाजार में उतारे जाएंगे। स्टार्टअप के उद्यमियों को जोड़ा जाएगा। साथ ही एमएसएमई, खादी ग्रामोद्योग, वन, उद्यान, ग्राम विकास विभाग और डूडा को इसके लिए मिलकर कार्य करने को कहा गया है।
लेमन ग्रास से रोकेंगे मिट्टी का ठहराव
कमिश्नर ने निर्देश दिया है कि किसानों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मदद से लेमन ग्रास और सहजन की नर्सरी विकसित की जाए। सीमैप एक रुपए में यह पौधा उपलब्ध करा सकता है। तालाबों के बंधों पर लेमन ग्रास मिट्टी का ठहराव बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।