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अस्पतालों में मरीज कम तो कहां जा रही ऑक्सीजन

फ्लैग--निरीक्षण: चरक, ओपी चौधरी अस्पताल में मरीज थे कम पर ज्यादा खर्च होती मिली...

अस्पतालों में मरीज कम तो कहां जा रही ऑक्सीजन
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 07 May 2021 11:50 PM
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फ्लैग--निरीक्षण: चरक, ओपी चौधरी अस्पताल में मरीज थे कम पर ज्यादा खर्च होती मिली ऑक्सीजन

0 प्लांट से ऑक्सीजन का ब्योरा लेकर रौशन जैकब पहुंची ओपीसी, चरक, बलरामपुर अस्पताल का किया निरीक्षण

0 चरक, ओपी चौधरी, मेयो, टिंडर पाम और अपूर्वा हास्पिटल रोजाना 200 से अधिक सिलेंडर उपयोग कर रहे

0 इसके मुकाबले इन अस्पतालों में रोगी कम पाए गए, अन्य प्लांटों से भी ले रहे ऑक्सीजन ये अस्पताल

0 निर्देश दिये कि जिला प्रशासन अस्पताल के वास्तविक खपत का निरीक्षण करके अतिरिक्त ऑक्सीजन को जब्त करे

लखनऊ प्रमुख संवाददाता

राजधानी में ऑक्सीजन कई राज्यों से आ रही है, लेकिन जा कहां रही है? इसका हिसाब लेने के लिए जिला प्रभारी रौशन जैकब ने ताबड़तोड़ छापेमारी की। पहले मुरारी फिलिंग स्टेशन से अस्पतालों को दी जा रही ऑक्सीजन का ब्योरा जुटाया। इसके बाद चरक, ओपी चौधरी समेत अन्य अस्पतालों का निरीक्षण किया। एक हाथ में डायरी दूसरे में ऑक्सीजन खर्च का चार्ट था। उस पर जब उन्होंने सवाल पूछने शुरू किए तो हड़कंप मच गया। अस्पतालों में जांच के दौरान रोगी कम मिले और ऑक्सीजन का उपयोग ज्यादा था। अन्य प्लांटों से भी ये अस्पताल नियमित रूप से ऑक्सीजन ले रहे हैं। रौशन जैकब ने इन अस्पतालों का ऑडिट कर जरूरत से अधिक ऑक्सीजन जब्त करने का निर्देश दिया है।

सबसे पहले प्रभारी अधिकारी ओपी चौधरी अस्पताल पहुंची। यहां बिलिंग काउंटर का निरीक्षण किया। डिस्चार्ज हुए रोगियों से बिल का विवरण मांगा। इसमें दवाओं और पैथालॉजी जांचों का उल्लेख दर्ज नहीं था। चेतावनी दी कि सभी खर्च स्पष्ट होने चाहिए। कहा,मनमानी वसूली पर कार्रवाई तय है। उन्होंने घर जा चुके मरीजों के नम्बर लेकर कॉल की। पूछा इलाज में कितना खर्च आया। ऑक्सीजन स्टोर के निरीक्षण में पता चला कि रोजाना 200 से अधिक सिलेंडर उपयोग हो रहे हैं। इसके मुकाबले ऑक्सीजन का खर्च ज्यादा हो रहा है। सिलेंडरों से ऑक्सीजन तय मात्रा से अधिक गति पर निकल रही थी। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई। जिला प्रशासन को जांच कर अतिरिक्त ऑक्सीजन जब्त करने का निर्देश दिया।

इसके बाद वह चरक अस्पताल पहुंचीं। यहां 145 बेड हैं। इनमें 33 आईसीयू और बाकी ऑक्सीजन बेड हैं। सिर्फ आठ आईसीयू बेड पर ही कोविड मरीजों का इलाज हो रहा था। अन्य बेड खाली मिले। इस पर उन्होंने गुस्सा जताते हुए चेतावनी दी कि अधिक ऑक्सीजन की खपत दिखाई जा रही है जो गलत है। प्रशासन से इस अस्पताल की भी जांच कर अतिरिक्त ऑक्सीजन जब्त करने के निर्देश दिए। निरीक्षण में पता चला कि चरक, ओपी चौधरी, मेयो, टिंडर पाम और अपूर्वा अस्पताल में मरीजों की संख्या से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर मांगे जा रहे हैं।

अब तय प्लांट से ही ऑक्सीजन लेंगे अस्पताल

जगह-जगह से ऑक्सीजन ले रहे अस्पतालों पर रौशन जैकब ने अंकुश लगा दिया है। सात ऑक्सीजन रिफिलिंग प्लांटों को क्षेत्र के आधार पर अस्पताल आवंटित करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं। जिला प्रशासन की कमेटी सभी कोविड अस्पतालों की मांग का चार्ट बनाएगी। कहां कितने रोगी हैं और कितनी ऑक्सीजन चाहिए इसका कोटा तय होगा।

मनमानी वसूली पर मैक्वेल अस्पताल पर कार्रवाई

रौशन जैकब के निर्देश पर टीम ने मैक्वेल अस्पताल का निरीक्षण किया। यहां बिल बुक का निरीक्षण करने पर पता चला कि रोगियों से मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है। टीम की रिपोर्ट पर अस्पताल को नोटिस भेजा गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो मुकदमा दर्ज होगा।

बलरामपुर से 100 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर का हिसाब मांगा

बलरामपुर अस्पताल के निरीक्षण में जिला प्रभारी ने वहां दिए गए 100 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर का हिसाब मांगा। निदेशक ने बताया कि इनमें से 50 के लिए एक अलग वार्ड बनाया जा रहा है जहां ऑक्सीजन की लाइन नहीं है। शेष 50 का उपयोग भी उन बेड पर किया जा रहा है जहां सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई नहीं पहुंचती। रौशन जैकब ने सीएमओ को निर्देश दिया कि टीम भेजकर सत्यापन करें कि ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर कहां उपयोग हो रहे हैं। आईसीयू में एचएफएनसी यानी हाई फ्लो नोजल कैनुला पर आश्रित मरीजों को भी देखा। यहां पर जरूरत से कम गति पर मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही थी। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई।जिला प्रभारी ने गढ़ी कनौरा स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट और अवध शिल्पग्राम के डीआरडीओ अस्पताल का भी निरीक्षण किया। कंट्रोल रूम में बैठकर सीसीटीवी के जरिए देखा कि मरीजों का उपचार सही ढंग से हो रहा है या नहीं।

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