Wasteful Expenditure on Women s Hostels in Government Polytechnics 21 22 Crore Rupees Spent Most Remain Unused सीएजी रिपोर्ट : पॉलीटेक्निक संस्थानों में महिला हॉस्टल बनाकर 21.22 करोड़ की फिजूलखर्ची, Lucknow Hindi News - Hindustan
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सीएजी रिपोर्ट : पॉलीटेक्निक संस्थानों में महिला हॉस्टल बनाकर 21.22 करोड़ की फिजूलखर्ची

Lucknow News - - 15 में से 11 महिला हास्टल सात वर्ष बाद भी शुरू नहीं हुए -

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊTue, 12 Aug 2025 08:34 PM
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सीएजी रिपोर्ट : पॉलीटेक्निक संस्थानों में महिला हॉस्टल बनाकर 21.22 करोड़ की फिजूलखर्ची

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में महिला छात्रावास बनाना फिजूलखर्ची ही साबित हुआ। जिन 15 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में इनका निर्माण कराया गया उनमें से 11 अभी तक संचालित नहीं हो पाए। सभी हास्टल बनाने में कुल 21.22 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पा रहा। वर्ष 2016 में इनके निर्माण को हरी झंडी दी गई थी। निर्माण पूरा होने के सात बाद भी इनका संचालन नहीं हो पा रहा है। सात राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों जिनमें बांदा, बस्ती, हमीरपुर, कानपुर देहात, उरई, जालौन, सिद्धार्थनगर व सोनभद्र शामिल है। यहां कार्यदायी संस्था द्वारा इन राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों को महिला हॉस्टल बनाकर उसे हस्तांतरित किया गया, मगर यहां फर्नीचर न होने, सुरक्षा कारणों व अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव में छात्राओं ने यहां रहने से मना कर दिया।

वहीं आजमगढ़, बलिया व वाराणसी के महिला छात्रावास भवन बनकर तैयार हो गए लेकिन यहां अन्य भवनों का निर्माण अधूरा होने के कारण व विशेष जांच दल की जांच के चलते इनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा। राजकीय चमड़ा संस्थान कानपुर में जर्जर भवन को ध्वस्त किए जाने में देरी के कारण छात्रावास के निर्माण में विलंब हुआ और यह भी शुरू नहीं हो सका। ऐसे में महिला हॉस्टल बनाकर धन की फिजूलखर्ची की गई। दूसरी ओर कानपुर स्थित हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग विभाग में भवन निर्माण के लिए कुल 12.65 करोड़ रुपये की मंजूरी वर्ष 2018 में की गई। 8.37 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका। अत्यंत धीमी गति से निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2021 में निर्माण के लिए उप्र आवास विकास परिषद द्वारा निर्माण के लिए शेष 4.28 करोड़ रुपये की मांग की गई लेकिन शासन ने धनराशि जारी नहीं की। ऐसे में 8.37 करोड़ रुपये के निर्माण की फिजूलखर्ची की गई।

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