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पुस्तकाकार से ज्यादा लोकप्रिय होगा रामायण विश्वकोश का वर्चुअल संस्करण

-वेबिनार में सामने आए कई विद्वानों के महत्वपूर्ण सुझाव प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर रविवार को दो वेबिनार आयोजित हुए। एक मुम्बई की संस्था के साथ और दूसरा भोपाल...

पुस्तकाकार से ज्यादा लोकप्रिय होगा रामायण विश्वकोश का वर्चुअल संस्करण
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 31 May 2020 07:24 PM
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-वेबिनार में सामने आए कई विद्वानों के महत्वपूर्ण सुझाव--देश दुनिया के कई रामायण मर्मज्ञ रामायण विश्वकोष में योगदान को हुए तैयारविशेष संवाददाता-राज्य मुख्यालयअयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डा. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि रामायण पर विश्वकोश पर तैयार पुस्तक से ज्यादा उसका वर्चुअल संस्करण लोकप्रिय होगा- क्योंकि इसमें राम और रामकथा से जुड़े तमाम वीडियो, आडियो का भी समावेश किया जाएगा। प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर रविवार को दो वेबिनार आयोजित हुए। एक मुंबई की संस्था के साथ और दूसरा भोपाल विश्वविद्यालय के साथ। श्री सिंह ने कहा कि इस विश्वकोश का निर्माण कोई आसान काम नहीं है। राम भारत के कण-कण में विराजते हैं, अलग-अलग भाषा, संस्कृति और भूगोल में राम और उनसे संबंधित सामग्री को संकलित करना और उसका लेखन एक जटिल प्रक्रिया है। मगर वेबिनार में शामिल रामायण मर्मज्ञों ने अपना-अपना योगदान देने का वादा करते हुए भरोसा दिलाया कि यह विश्वकोश हर हाल में बनकर रहेगा। भोपाल विश्वविद्यालय के साथ हुए वेबिनार में स्विटजरलैण्ड, डेनमार्ग, मास्को, लंदन, मारीशस और भारत के तीन विश्वविद्यालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक, संस्कृति विश्वविद्यालय उड़ीसा और भोपाल विश्वविद्यालय के कुलपति भी शामिल हुए। साहित्यिक शोध संस्था मुंबई, अयोध्या शोध संस्थान, एसएम कालेज भागलपुर, राष्ट्रीय सिंधी भाषा परिषद दिल्ली, रूसी भारतीय मैत्री संघ मास्को के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस वेबिनार में तय हुआ कि रामायण पर दुनिया भर सामग्री संकलित कर विश्वकोष बनाया जाएगा। इसमें देश-विदेश के अनेक रामायण मर्मज्ञ अपना योगदान करेंगे। इसमें उत्तर प्रदेश मंडल आफ अमेरिका, कैलीफोर्निया, रूसी भारतीय मैत्री संघ दिशा मास्को के अलावा इंडोनेशिया, ताशकंद और श्रीलंका आदि देशों के अलावा भारत के कई राज्यों के रामायण मर्मज्ञ शामिल हुए।साठ्ये महाविद्यालय मुम्बई के डा. प्रदीप कुमार सिंह की प्रस्तावना के बाद एम.एस.कालेज भागलपुर की डा. अर्चना ठाकुर का स्वागत संबोधन हुआ। वेबिनार में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य श्रीलंका के विद्वानों का वक्तत्वय रहा। सुश्री नादि शिवंती, डा. शिरीन कुरैशी, जननी मुद्धागे, अतीला कोतलावाला, सुभाषिनी रत्नायक, प्रो. ब्रासिल नागोड़ा वितान ने श्रीलंका में उपलब्ध सामग्री पर बहुमूल्य जानकारी से अवगत करवाया। कैलीफोर्निया के प्रोफेसर नीलू गुप्ता, रांची विश्वविद्यालय के डा.जे.बी.पाण्डेय, ताशकंद से डा.नुर्मातव ने भी रामायण पर विश्वकोश के निर्माण में अपना-अपना योगदान देने का वादा किया। वेबिनार की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी ने की।

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