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विद्या भारती प्रतिभा सम्मान समारोह

-सरस्वती शिशु और विद्या मंदिरों के मेधावी छात्र-छात्राओं व खिलाड़ियों का हुआ सम्मान लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता विद्या भारती पूर्वी उप्र क्षेत्र की ओर से रविवार को ज्ञान-विज्ञान, खेल जगत व परीक्षाओं में...

विद्या भारती प्रतिभा सम्मान समारोह
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 13 Aug 2017 06:49 PM
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-सरस्वती शिशु और विद्या मंदिरों के मेधावी छात्र-छात्राओं व खिलाड़ियों का हुआ सम्मान लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता विद्या भारती पूर्वी उप्र क्षेत्र की ओर से रविवार को ज्ञान-विज्ञान, खेल जगत व परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली प्रतिभाओं का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। निरालानगर स्थित माधव सभागार में आयोजित इस समारोह में विद्या भारती के सरस्वती शिशु मंदिरों व सरस्वती विद्या मंदिरों से निकले 10वीं और 12वीं के मेधावी छात्र, खिलाड़ियों और प्रशासनिक सेवाओं में चयनित होने वाले छात्रों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक थे और विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री ब्रह्मदेव शर्मा 'भाई जी' मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्या भारती के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री यतीन्द्र शर्मा ने की। विश्वविद्यालयों में जाएंगी यहां की सीडी: उन्होंने यहां छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करने के बाद समारोह को सम्बोधित करते हुए विद्या भारती के अनुशासन की तारीफ की और कहा कि वह प्रदेश के 29 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं और इनमें से 25 में दीक्षांत समारोह होना है, जिसकी तैयारियां चल रही हैं। उन्होंने विद्या भारती से अपने समारोह की 25 सीडी मांगी और कहा कि वह सारे विश्वविद्यालयों में ये सीडी भेजकर कुलपतियों को बताएंगे कि दीक्षांत समारोह किस तरह के अनुशासन के साथ होना चाहिए। नेहरू नहीं चाहते थे, राष्ट्रगीत बने 'वंदेमातरम्': मदरसों में वंदेमातरम् गाए जाने को लेकर चल रहे विवाद से जोड़ते हुए राज्यपाल ने यहां कुछ पुरानी घटनाओं का जिक्र किया। पहले तो उन्होंने यहां याद दिलाया कि संसद में राष्ट्रगान व राष्ट्रगीत गाने की शुरुआत उन्हीं के प्रयासों से हुई थी। इसके बाद उन्होंने बताया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि वंदेमातरम् को नहीं 'जन-गण-मन...' को राष्ट्रगीत कहा जाए लेकिन तत्कालीन संसद की सहमति वंदेमातरम् पर बनी। सम्मानित होने वाले छात्र-छात्राएं- 10वीं के मेधावी: अंशुमान मिश्रा (कानपुर), आदर्श मिश्रा (कानपुर), आस्था (सुलतानपुर), अनंत मिश्रा (कानपुर), साक्षी त्रिपाठी (सुलतानपुर), अंशिका श्रीवास्तव (सुलतानपुर)। 12वीं के मेधावी: अर्पित कुमार अवस्थी (सीतापुर), आस्था सिंह (इलाहाबाद), प्रतीक्षा कुशवाहा (कन्नौज), पुष्पेन्द्र कुमार राजपूत (कन्नौज), प्रियम्वदा (कन्नौज), अभिषेक त्रिपाठी (कन्नौज), दीक्षा शुक्ला (फतेहपुर), अनुभव शुक्ला (सीतापुर), रामजी रावत (कानपुर), अभिषेक (झांसी), प्रज्ञा तिवारी (फतेहपुर), शैलेन्द्र सिंह (फतेहपुर)। अखिल भारतीय ज्ञान-विज्ञान मेला के विजेता: भूपेन्द्र यादव, आदित्य पटेल, संतोष वर्मा, अनिरुद्ध गुप्ता, आलोक वर्मा, अतुल वर्मा, अदित्य पांडेय, सौम्या दुबे, अतुल कुमार, शुभम यादव, सार्थक कुशवाहा, प्रवीण कुमार सिंह, अंकित पटेल, आयुष पांडेय, आकाशदीप सिंह, सुंदरम साहू, आदर्श तिवारी, आयुष सिंह, अरुणेश सिंह, अभय प्रताप सिंह, अजय विक्रम गौतम, आयुष मिश्रा। सम्मानित होने वाले खिलाड़ी: कोमल (हैमर थ्रो), अविनाश यादव (भाला फेंक), राजेश कुमार (पोल वॉल्ट), धर्मेन्द्र कुमार यादव (क्रॉसकंट्री 5000 मी.), श्याम (3000 मी.), रामचंद्र (गोला फेंक), चंचल पाठक (मलखम्भ), राज यादव (जिम्नास्टिक), जतिन कुमार (जिम्नास्टिक), वैभव चौरसिया (जिम्नास्टिक), दीपक यादव (पोल वॉल्ट), मंगेश कुमार (जिम्नास्टिक), अर्पित यादव (भाला फेंक), विक्रांता, मो. अफ्फान (चक्का फेंक), प्रणव मिश्रा (जिम्नास्टिक), इति तिवारी (मलखम्भ), जितेन्द्र यादव (800 मी.), खुशी कुशवाहा (मलखम्भ), आयशा पटेल (हैमर थ्रो)। प्रशासनिक सेवाओं तक पहुंचे मेधावी- देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा यानी भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को लेकर अक्सर से मिथक सुनने में आता है कि अंग्रेजी मीडियम और कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह ज्यादा आसान है। मगर समारोह में विद्या मंदिरों के कुछ छात्र आए थे जिन्होंने ये मिथक तोड़े और सिविल सेवा परीक्षा का चक्रव्यूह भी। इनका मानना है कि विद्या मंदिर के अनुशासन ने इनकी सफलता में बड़ी भूमिका निभाई... विद्या मंदिर में संस्कार दिए जाते हैं और लगन के साथ जूझना सिखाया जाता है। ये दोनों चीजें तैयारी में बहुत काम आईं। मनोज कुमार राठौर (आईएएस) रैंक-952, बैच- 2016 अनुशासन कहीं से भी सीखा जा सकता है लेकिन अगर वह स्कूल में मिला तो सारी जिंदगी साथ रहता है। विद्या मंदिर ने यही अनुशासन सिखाया। शशांक त्रिपाठी (आईएएस) रैंक- 5, बैच-2016 आईएएस परीक्षा में एक पेपर एथिक्स यानी नैतिक मूल्यों का होता है और हमने तो स्कूल में इसे अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ा था। परीक्षा में इन्हीं मूल्यों ने राह आसान की। आशुतोष द्विवेदी (आईएएस) रैंक- 454, बैच- 2016 हिन्दी, अंग्रेजी भाषा का कोई फर्क नहीं पड़ता। सफलता के लिए अनुशासन जरूरी है और विद्या मंदिर में शिक्षा की शुरुआत ही अनुशासन से होती है। श्रेयांश मोहन (आईएएस) रैंक- , बैच- 2015 मेरी सफलता में स्कूली शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है। सफलता तो अब मिली लेकिन नींव स्कूल में ही तैयार हुई थी। विवेक आनंद शर्मा (आईईएस) रैंक-134, बैच- 2016

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