यूपी में सड़क हादसों को रोकने के लिए 3510 सड़क सुरक्षा साथी तैनात होंगे
Lucknow News - परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में मृत्यु दर को 50 प्रतिशत कम करने के लिए 'उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा साथी योजना' बनाई है। 351 तहसीलों से 3510 सड़क सुरक्षा साथी बनाए जाएंगे, जो नागरिकों...

परिवहन विभाग ने हादसों में मृत्यु दर कम करने को उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा साथी योजना बनाई शासन को भेजा गया प्रस्ताव, 351 तहसीलों से बनाए जाएंगे सड़क सुरक्षा साथी हादसों में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य लखनऊ, विशेष संवाददाता परिवहन विभाग ने उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों को रोकने और मृत्य दर में 50 प्रतिशत कमी लाने के लिए एक और नई पहल की है। इसके तहत विभाग ने ‘उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा साथी योजना तैयार की है। इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इस योजना के तहत प्रदेश की 351 तहसीलों से 3510 सड़क सुरक्षा साथी बनाए जाएंगे।
इन्हें तीन हजार रुपये मानदेय भी देने की व्यवस्था की जाएगी। ये सड़क सुरक्षा साथी विभाग के अफसरों के नेतृत्व में सड़क सुरक्षा में सहयोग करेंगे। नागरिकों को सुरक्षित यातायात के प्रति जागरुक करेंगे। इनके जरिए ही सड़क पर नियम का पालन, सड़क डिजाइन में सुधार, आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाएगा। यह योजना प्रवर्तन, इंजीनियरिंग, शिक्षा, आपातकालीन सेवा और मूल्यांकन पर आधारित होगी। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि हर तहसील से 10 प्रशिक्षित स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे। इन्हें दंड देने का अधिकार नहीं रहेगा। ये केवल सहयोग और मार्गदर्शन की भूमिका में रहेंगे। राहगीरों की मदद करेंगे इन सड़क सुरक्षा सारथी को स्कूल जोन में बच्चों की सुरक्षा, पैदल यात्रियों को सड़क पार कराने में सहायता, हेलमेट और सीटबेल्ट को लेकर काउंसलिंग, कार्यस्थल पर भीड़ प्रबन्धन, ब्लैक स्पॉट की फोटो खींच कर सूचना देने जैसे काम करना होगा। इन सुरक्षा साथियों को दो दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें प्राथमिक उपचार, ट्रैफिक अनुशासन और सुरक्षा मानक शामिल होंगे। पहचान पत्र, रिफ्लेक्टिव जैकेट, सीटी, टॉर्च और हैंडबुक भी दी जाएगी। दोपहर तीन से रात नौ बजे तक डयूटी परिवहन आयुक्त के मुताबिक रिसर्च में सामने आया है कि दोपहर तीन बजे से रात नौ बजे के बीच ज्यादा हादसे होते हैं। इन स्थानों पर प्रवर्तन बल की वजह से हर जगह अधिकारियों की तैनाती सम्भव नहीं हो पाती है। इसलिए ही इन सड़क सुरक्षा सारथी को तैनात करने की योजना तैयार की गई है। इनसे जो सूचनाएं और सुझाव मिलेंगे, उसके अनुसार विभाग आगे की कार्ययोजना तैयार करेगा ताकि सड़क सुरक्षा को बल मिल सके। स्वीकृति मिलने के 30 दिन में लागू होगी परिवहन विभाग के मुताबिक, शासन से इस प्रस्ताव पर स्वीकृति मिलते ही 30 दिनों में एसओपी, चयन के लिए मानक, ट्रेनिंग और वित्तीय प्रावधान तय कर लिए जाएंगे। इसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा। सफल होने पर पूरे प्रदेश में इसे लागू करा जाएगा। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि इस योजना के लागू होने पर सड़क हादसों में कमी लाई जा सकेगी।
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