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भाषाएं मिटाती है फासले उर्दू तो राष्ट्र की भाषा है

उर्दू लेखकों व पत्रकारों ने आजादी की लड़ाई में दिया अहम योगदान

भाषाएं मिटाती है फासले उर्दू तो राष्ट्र की भाषा है
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 17 Feb 2018 07:03 PM
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उर्दू लेखकों व पत्रकारों ने आजादी की लड़ाई में दिया अहम योगदान

जर्मन भाषा में राज्यपाल की पुस्तक का अनुवाद

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता

उर्दू भाषा का शानदार इतिहास रहा है। आजादी की लड़ाई में उर्दू पत्रकारों और लेखकों ने अपने कलम से इंकलाब पैदा किया। जो यह कहता है कि उर्दू एक विषेश वर्ग की भाषा है तो ये गलत है। उर्दू हम सबकी भाषा है। संविधान में उर्दू और हिन्दी दोनों को ही राष्ट्र की भाषा कहा गया है। भाषाएं हमेशा समाज को जोड़ने का काम करती है। ये बात प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अरबी फारसी विश्वविद्यालय में आयोजित दूसरी अन्तर्राष्ट्रीय उर्दू कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कही। इस मौके पर उर्दू भाषा से जुड़ी पांच विभूतियों को सम्मानित भी किया गया।

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि मुझे हमेशा उर्दू साहित्यकारों और शिक्षाविदों के साथ बैठना अच्छा लगता है। उन्होंने उर्दू और हिन्दी सगी बहनें है, दोनों भाषाओं की पहचान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर है। खासकर यूपी में इन दोनों भाषाओं का संगम देखने को मिलता है। राज्यपाल ने कहा कि अब लोगों में पढ़ने की आदत बहुत कम हो गई है। लेकिन किताब पढ़ने का जो आनंद है, वह टेलीविजन और मोबाइल में नहीं। इसलिए लोगों को पढ़ने की आदत डालना चाहिए।

राज्यपाल की पुस्तक का जर्मन भाषा में अनुवाद

जर्मनी की होबोल्ट विश्वविद्यालय से आए प्रो आरिफ नकवी ने राज्यपाल की राम नाईक की लिखी पुस्तक चिरैती चिरैती का अनुवाद जर्मन भाषा में किया है। इस पर राज्यपाल ने खुली जाहिर करते हुए कहा कि उनकी पुस्तक अरबी, फारसी और उर्दू भाषा में अनुवाद हो चुका है जबकि मई में उनकी पुस्तक का संस्कृत भाषा में विमोचन काशी में राष्ट्रपति करेंगे। राज्यपाल ने कहा कि अब तक उनकी पुस्तक 9 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है।

बच्चों के कोर्स में शामिल हो किताब

कांफ्रेंस के संयोजक डॉ अम्मार रिजवी ने कहा कि राज्यपाल राम नाईक की लिखी पुस्तक बहुत ही प्रेरणादायक है। इसलिए बच्चों के कोर्स में इसको शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनको भी प्रेरणा मिल सके। इसके लिए मैने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर ये मांग की है। डॉ अम्मार रिजवी ने कहा कि देश की दो महान हस्तियों ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती और मौलाना आजाद ने देश को जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पहली उर्दू कांफ्रेंस में मैने राज्यपाल राम नाईक से सरकारी दफ्तरों के बोर्ड में उर्दू में लिखे की बात कही थी। उन्होंने थोड़े दिन बाद ही अपने कार्यालय में लगे सभी बोर्ड पर हिन्दी के साथ उर्दू में नाम व पद लिखे जाने के निर्देश दिए। कांफ्रेंस में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. माहरूख मिर्जा ने कहा कि विश्वविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली के तहत छात्रों को शिक्षा दी जा रही है। इस उर्दू कांफ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी समेत कई देशों से शिक्षाविद् आए हैं। कांफ्रेंस में उर्दू अकादमी की चेयरमैन आसिफा जमानी, डॉ शारिब रूदौलवी समेत शिक्षक व छात्र उपस्थित थे।

इन हस्तियों का हुआ सम्मान

अवार्ड नाम

कृष्ण बिहारी नूर अवार्ड सुनीता झिंगरन गजल गायिका

प्रो नय्यर मसूद अवार्ड शमसुर रहमान फारुकी आलोचक

आबिद सुहैल अवार्ड मसरुर जहां लेखक

डॉ मलिकजादा मंजूर अहमद अवार्ड प्रो आरिफ नकवी शिक्षक जर्मनी विश्वविद्यालय

डॉ अनवर जलालपुरी अवार्ड मुर्तजा अली गजनवी इंग्लैंड

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