उलमा ने शहजादी जनाबे सकीना की शहादत को बयान किया
लखनऊ। संवाददाता हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की मासूम बेटी शहजादी जनाबे सकीना (स.अ.) की...
लखनऊ। संवाददाता
हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की मासूम बेटी शहजादी जनाबे सकीना (स.अ.) की शहादत के मौके पर शनिवार को शहर के तमाम इमामबाड़ों, कर्बलाओं, रौजों और घरों में मजलिसो-मातम का आयोजन करके इमाम की मासूम बेटी की शहादत का गम मनाया। मजलिसों में उलमा ने शहजादी जनाबे सकीना (स.अ.) की कैद खाना-ए-शाम में हुई शहादत को बयान किया। उलमा से शहादत का वाकिया सुनकर अजादार रोने लगे।
वक्फ मस्जिद मीर हैदर हुसैन गोलागंज खम्सा-ए-मजालिस की आखिरी मजलिस को मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी ने खिताब करते हुए कहा कि कर्बला का अहम तरीन पैगाम है कि नाउम्मीदियों में उम्मीदवार बन कर जिन्दगी बसर करो। रोजे आशूर हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) ने हमें यही दर्स दिया है कि चाहे कितनी ही मुसीबतें और मुश्किलात क्यों न हों कभी अल्लाह से नाउम्मीद मत होना। अंत में मौलाना ने हजरत अली अकबर (अ.स.) की दर्दनाक शहादत को बयान किया तो अजादारों में कोहराम मच गया और वह रोने लगे। मजलिस के बाद अलम और ताबूत की जियारत कराई गयी। मजलिसों का आयोजन अक्सा ट्रस्ट ने किया था।
ताबूत की जियारत कराई
जिन्दान से गुल उठा हाय सकीना गुजर गईं, पोती अली की शाम के जिन्दां में मर गईं। हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की चार साल की मासूम बेटी शहजादी जनाबे सकीना (स.अ.) की शहादत की याद में शनिवार को पुराने शहर में या सकीना... या सकीना... की सदाएं देर रात तक गूंजती रहीं। हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत के बाद इमाम के बेटे, बहन और मासूम बेटी जनाबे सकीना (स.अ.) सहित अन्य लोगों को कैदी बनाया गया था। महिलाओं ने घरों में मजलिस कर अंधेरे में शहजादी सकीना (स.अ.) का ताबूत उठाकर नौहे पढ़े। अजादारों ने घरों में नज्र देकर हजरत इमाम हुसैन (अ.स.)को उनकी मासूम बेटी का पुरसा दिया।
नहीं उठे बहत्तर ताबूत
कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए आसिफी इमामबाड़े में कर्बला के बहत्तर शहीदों के ताबूतों की जियारत इस बार भी स्थगित कर दी गयी। ताबूतों की जियारत के लिए लखनऊ सहित प्रदेश भर से हजारों की संख्या में अजादार शामिल होते थे। कार्यक्रम का आयोजन अंजुमन शब्बीरिया शीशमहल करती थी।