लखनऊ समेत कई जिलों में ड्रग्स सप्लाई की थी तैयारी
Lucknow News - युगांडा से आई एक महिला तस्कर के पेट से 34 ड्रग कैप्सूल बरामद हुए हैं। महिला ने यह स्वीकार किया कि उसने कैप्सूल अपने शरीर में छिपाए थे। ड्रग मेथाक्वालोन है, जिसकी कीमत लगभग 25 लाख रुपये आंकी गई है।...

युगांडा से आई महिला तस्कर के पेट से ड्रग्स के 34 कैप्सूल बरामद हुए हैं। पांच दिन पहले एयरपोर्ट पर दुबई की फ्लाइट से आई एक विदेशी महिला को डीआरआई यानी राजस्व खुफिया निदेशालय की टीम ने पकड़ा था। महिला ने यह तो स्वीकार किया कि वह शरीर में छिपाकर ड्रग के कैप्सूल लाई है लेकिन उनकी संख्या सही नहीं बता रही थी। साथ ही पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही थी। करीब एक सप्ताह तक महिला को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया। सूत्रों के अनुसार महिला ने कई महत्वपूर्ण राज उगले हैं। इस बीच डॉक्टरों की मदद से युगांडा निवासी 40 वर्षीय महिला एनिथा नवाबू के पास से बरामद कैम्प्सूल में भरे सफेद पाउडर के सैम्पल केन्द्रीय लैब भेजे गए। इसकी रिपोर्ट भी आ गई है। महिला से बरामद हुई ड्रग मेथाक्वालोन है जो लगभग सभी प्रमुख देशों में प्रतिबंधित है। डॉक्टरों ने महिला के शरीर से करीब तीन दर्जन कैप्सूल निकाले। इनमें 500 ग्राम नशीला पदार्थ मिला। इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपये आंकी गई है। महिला ने सभी कैप्सूल निगल रखे थे। इस वजह से पूरे सफर में एक घूंट पानी तक नहीं पिया था। डीआरआई ने एक विशेष खुफिया सूचना के आधार पर इमिग्रेशन की मदद से 05 अप्रैल को इस महिला को हिरासत में लिया थाा।
सिविल अस्पताल से रेफर किया गया केजीएमयू
सिविल अस्पताल में की गई प्रारंभिक चिकित्सा जांच में महिला के पेट में कैप्सूल के आकार की कई वस्तुओं की मौजूदगी का पता चला। यात्री को आगे की चिकित्सा सलाह के लिए केजीएमयू रेफर किया गया। कैप्सूल में मेथाक्वालोन होने की पुष्टि की गई। इसके बाद महिला को गिरफ्तार कर लिया गया।
गुमराह करती रही महिला
महिला के पास से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। सूत्रों के अनुसार इस नशीले पदार्थ की सप्लाई यूपी के अलावा दूसरे राज्यों में भी की जा रही है। नशेड़ी इस ड्रग के लिए मुहंमांगी कीमत अदा करते हैं। डीआरआई ने अब अन्य खुफिया एजेंसियों से भी सूचना साझा की है। अब उन लोगों की तलाश की जा रही है जो यह ड्रग सप्लाई कर रहे हैं।
रेव पार्टियों में इस्तेमाल हो रही ड्रग
जो ड्रग मेथाक्वालोन बरामद की गई है यह एक सिंथेटिक हिप्नोटिक दवा है। इसे 1950 में दवा के तौर पर विकसित किया गया था। नशे की लत और दुरुपयोग के कारण इसे कई देशों में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। अधिक मात्रा में लेने पर यह बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ या मृत्यु का कारण भी बन सकता है। अफ्रीकी देशों के ब्लैक मार्केट से इसकी सप्लाई होती है।
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