मानव तस्करी गिरोह के तीन सदस्य गिरफ्तार
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-जाली दस्तावेजों के सहारे अवैध बांग्लादेशियों के भारतीय पहचान पत्र भी बनवाए
-अवैध घुसपैठ में किया जा रहा विदेशी फंडिंग का दुरुपयोग
लखनऊ, प्रमुख संवाददाता
यूपी एटीएस ने बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ कराकर उन्हें जाली दस्तावेजों के सहारे भारत की नागरिकता दिलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गुरुवार को तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। जांच में इस गिरोह को लगभग 20 करोड़ की विदेशी फंडिंग प्राप्त होने तथा अवैध घुसपैठ कराने में लगभग 1.5 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किए जाने की बात प्रकाश में आई है।
देवबंद से मिला तीनों का कनेक्शन
तीनों गिरफ्तार अभियुक्तों आदिल उर रहमान, नजीबुल शेख व अबु हुरायरा गाजी से पूछताछ में सामने आए तथ्यों एवं अन्य साक्ष्यों के आधार पर एटीएस ने अपने लखनऊ थाने में आईपीसी की धारा 120 बी, 34, 419, 420, 467, 468, 471 व के अलावा विदेशी अधिनियम की धारा 13 व 14 तथा पासपोर्ट अधिनियम की धारा-12 के तहत एफआईआर दर्ज की है। एटीएस को खुफिया इनपुट मिला रहा था कि यूपी, दिल्ली व पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में कुछ व्यक्तियों द्वारा बनाया गया एक गिरोह अवैध घुसपैठियों को उनकी पहचान छिपा कर फर्जी भारतीय दस्तावेजों के आधार पर भारत में बसा रहा है। यह गिरोह एफसीआरए एकाउंट्स में प्राप्त होने वाली विदेशी फंडिंग के माध्यम से उनको आर्थिक सहयोग कर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।
इस सूचना को एटीएस की वाराणसी फील्ड इकाई ने विकसित किया तो गिरोह के एक सदस्य के पश्चिम बंगाल से दिल्ली या सहारनपुर जाने की सूचना मिली। इस पर आदिल मोहम्मद असरफी उर्फ आदिल उर रहमान को गिरफ्तार किया गया। मीरपुर (बांग्लादेश) निवासी आदिल के पास फर्जी भारतीय आधार कार्ड व पासपोर्ट बरामद हुआ। गहराई से पूछने पर आदिल द्वारा बताया गया कि ये फर्जी भारतीय दस्तावेज पश्चिम बंगाल के रहने वाले शेख नजीबुल हक और अबु हुरायरा गाजी की सहायता से उसने प्राप्त किए हैं। उसने यह भी बताया कि शेख नजीबुल हक और अबु हुरायरा गाजी वर्तमान में देवबंद (सहारनपुर) में रह रहे हैं। दोनों को पूछताछ के लिए एटीएस मुख्यालय लखनऊ बुलाया गया, जहां दोनों ने अपराध स्वीकार किया। दोनों ने बताया कि उनके द्वारा आदिल के साथ-साथ देवबंद में रहने वाले मोहम्मद हबीबुल्ला मस्बाह उर्फ नजीब नामक बांग्लादेशी नागरिक के भी जाली भारतीय दस्तावेज बनवाए थे, जो कि पूर्व में सहारनपुर से गिरफ्तार हुआ था।
विदेशों से 20 करोड़ मिलने की पुष्टि
दोनों अभियुक्तों ने भारत-बांग्लादेश अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर से मानव तस्करी की बात भी स्वीकार की। इस दौरान बांग्लादेशी महिला को पेत्रोपॉल अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर (भारत-बांग्लादेश) से घुसपैठ कराकर भारत में बसाने के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। यह भी पता चला कि गिरोह द्वारा एफसीआरए एकाउंट्स में विदेश से प्राप्त हो रहे धन को अवैध घुसपैठियों को सीमा पार कराने, फर्जी प्रपत्र बनवाने, शरण देने, मानव तस्करी कराने, अवैध तरीके से आवासित करने एवं अन्य राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में प्रयोग किया जाता है। अभी तक लगभग 20 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग प्राप्त होने एवं लगभग 1.5 करोड़ रुपये का दुरुपयोग होने की बात भी प्रकाश में आई है।
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