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रमजान के दस्तरख्वान से गायब रहेंगे इस बार कई जायके

रमजान में होटल बंद रहने से होगा होटलों को 20 से 25 करोड़ का नुकसान रमजान में होटल बंद रहने से होगा होटलों को 20 से 25 करोड़ का नुकसान रमजान में होटल बंद रहने से होगा होटलों को 20 से 25 करोड़ का...

रमजान के दस्तरख्वान से गायब रहेंगे इस बार कई  जायके
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊTue, 14 Apr 2020 05:56 PM
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रमजान में होटल बंद रहने से होगा होटलों को 20 से 25 करोड़ का नुकसानलखनऊ। अब्बास रिजवीमाहे मुबारक रमजान पर इस बार रोजदारों के दस्तरख्वान भी लॉक डाउन की वजह से जायकों से महरूम रहेंगे। पहली बार रमजान में न तो रहीम व मुबीन के कुल्चे नहारी की खुश्बू मिलेगी न ही इदरीस की बिरयानी की महक रोजदारों को खींचकर होटल तक लाएगी। टुंडे कबाब व शीरमाल का जायका तो दूर की बात है, रोजा खोलने के बाद कश्मीरी चाय की सुगंध लॉक डाउन के चलते मिलना मुश्किल है। केन्द्र सरकार ने लॉक डाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया है। ऐसे में साफ है कि रमजान का पहला अशरा घरों में ही गुजरेगा। हालांकि उलमा ने पहले ही अफ्तार से लेकर तरावीह तक घरों में ही पढ़ने की अपील लोगों से की है। वहीं, रमजान में लखनऊ के होटल बंद रहने से होटल व्यवसाईयों को 20 से 25 करोड़ रूपए का नुकसान होगा। लेबरों को दो महीने पहले ही दे चुके एडवांसअकबरीगेट स्थित मुबीन होटल के शुएब बताते हैं कि रमजान की तैयारी दो महीने पहले से शुरू हो जाती है। दो दर्जन से अधिक लेबरों को एडवांस पैसा दिया जा चुका है। रमजान की चांद रात से ही होटल पर रौनक बढ़ जाती थी। लॉक डाउन की अवधि बढ़ने से होटल खुलना मुश्किल है। कुल्चे नहारी खाने के लिए लखनऊ के साथ आसपास के जिलो से लोग रमजान में आते थे। लेबरों को तो एडवांस दिया जा चुका है। होटल बंद होने से लाखों रूपए नुकसान अलग होगा। 20 से 25 करोड़ तक का नुकसानअलीगंज स्थित अल मुगलई जायका होटल के जाफर बताते हैं कि रमजान में होटल बंद रहने से लेबरों के साथ मुझे भी काफी नुकसान होगा। रमजान के लि आटा, मैदा, चावल समेत मसाले एक महीने पहले ही मंगा लिए गए है। जो लॉक डाउन के बाद होटल में ही बंद पड़ा है। रात भर खुले रहते थे होटलपुराने लखनऊ के अकबरीगेट पर टुंडे कबाबी व इदरीस बिरयानी के अलावा मुबीन, रहीम जैसे कई कुल्चे नहारी के नामी होटल मौजूद है। इसके अलावा अमीनाबाद, सील इलाका नजीराबाद व कैसरबाग में भी कई बड़े होटल मौजूद हैं। जो रमजान में पूरी रात खुले रहते हैं। होटलों पर सहरी करने के बाद लोग अपने घर जाते हैं। छोटे कारोबारियों को भी नुकसानबड़े होटलों के साथ रमजान में सड़क के किनारे कश्मीरी चाय, लस्सी, पान व अन्य खाने-पीने का सामान बेचने वालों को भी बड़ा नुकसान होगा। पूरी रात पुराने लखनऊ के इलाकों में कश्मीरी चाय, शीरमाल, ख्वाजा समेत दुकानें खुली रहती है। जहां रोजा खुलने के बाद से ही रोजेदार आना शुरू कर देते हैं।

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