तीन तलाक के मुद्दे पर पहले विधि आयोग में बहस होगी
संसद में पेश बिल पर चर्चा से पहले तीन तलाक का मुद्दा विधि आयोग के सामने बहस होगी। आयोग ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को तीन तलाक और विरासत आदि से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए...
संसद में पेश बिल पर चर्चा से पहले तीन तलाक का मुद्दा विधि आयोग के सामने बहस होगी।
आयोग ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को तीन तलाक और विरासत आदि से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए तलब किया है। विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस बलबीर सिंह चौहान के सामने 25 जुलाई को बोर्ड के प्रतिनिधि पर्सनल ला और शरीयत से जुड़े सवालों के जवाब देंगे।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से तीन तलाक पर लम्बित बिल को पास करवाने के लिए सहयोग मांगा है।
संसद के इसी मानसून सत्र में इस बिल पर चर्चा होने की उम्मीद है। इस बीच, मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने अब अपनी तफहीम-ए-शरीअत कमेटी के जरिये मुस्लिम पर्सनल ला से जुड़े स्पष्ट प्रावधानों की जानकारी वकीलों व बुद्धिजीवियों को देने के लिए एक खास कार्ययोजना बनायी है। इसके तहत फैमिली ला, निकाह, खुला, तलाक और विरासत से जुड़े मामलों पर मुस्लिम पर्सनल ला व शरीयत के प्रावधानों की जानकारी देने के लिए पूरे देश में कार्यक्रम होंगे। बोर्ड नेतृत्व चाहता है कि वकील इस मामले में सरकारी अदालतों में चल रहे मुकदमों में सही जानकारी रखें ताकि गलतफहमियां दूर हो सकें।
बीती 15 जुलाई को दिल्ली में हुई बोर्ड की बैठक में देश में 10 नई दारुलकजा यानि शरई अदालतें स्थापित करने का भी फैसला हुआ है। इसी क्रम में कन्नौज में दो दिन पहले एक नयी दारुलकजा कायम की गई है। देश में इस वक्त कुल 55 दारुलकजा चल रही हैं, जिनमें से उत्तर प्रदेश में 15 और राजधानी लखनऊ में दो दारुलकजा हैं।
‘विधि आयोग को मुस्लिम महिलाओं के पारिवारिक व सामाजिक अधिकारों के मामले में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से बेहतर काम करने वाली संस्थाओं व संगठनों के नुमाइंदों को भी सुनना चाहिए।’
-नाईश हसन, महिला अधिकारों के लिए सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता
‘शिया पर्सनल ला बोर्ड पहले ही अपने नये निकाहनामे के जरिये एक बार में तीन तलाक को गलत करार दे चुका है। मुस्लिम महिलाओं के हितों के लिए विपक्ष को भी सियासत छोड़कर इस बिल को पास करवाने में सरकार की मदद करनी चाहिए।’
-मौलाना यासूब अब्बास, प्रवक्ता, आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड
‘विधि आयोग को कानून मंत्री और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के साथ मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड, मुस्लिम महिला आंदोलन, जमीयतुल उलमा, अहले हदीस जैसे संगठनों की बात भी सुननी चाहिए।’
- शाईस्ता अम्बर, अध्यक्ष, आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड