रबी गोष्ठी में छाया रहा पराली प्रबन्धन का मसला
प्रमुख संवाददाता
प्रमुख संवाददाता--राज्य मुख्यालयआगामी रबी सीजन की तैयारियों को लेकर गुरुवार को आयोजित राज्य स्तरीय रबी गोष्ठी में पराली प्रबन्धन का मसला छाया रहा। सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के दिशा-निर्देशों के तहत हर हाल में धान की फसल अवशेष (पराली) प्रदेश के किसी भी हिस्से में न जल सके इसको लेकर ही पूरी गोष्ठी में विचार विमर्श चलता रहा। ऑन लाइन आयोजित इस रबी गोष्ठी में कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. देवेश चर्तुवेदी ने कहा कि पराली प्रबन्धन करने और उन्हें न जलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के निर्देश के अनुरूप त्वरित एवं सख्त कार्यवाही के लिए सभी जिलों के डीएम व कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस को भी सतर्क रहना होगा। पराली जले बल्कि उसका प्रबन्धन हो इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी कृषि विभाग के अधिकारियों की है। इस अवसर पर रबी उत्पादन कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कृषि निदेशक डा. अजित प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि खरीफ में 95.92 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की जगह 96.26 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसलें खड़ी है। उन्होंने कहा कि आगामी रबी के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 129 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य तय किया गया है। जिसकी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है। गोष्ठी में पशुपालन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विभाग के प्रमुख सचिव भुवनेश कुमार, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा समेत सभी मण्डलों के मण्डलायुक्त, डीएम व सीडीओ समेत कृषि उत्पादन आयुक्त शाखा से जुड़े विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।