लखनऊ। निज संवाददाता कोरोना वायरस का डर अस्पताल में इलाज कर रहे डॉक्टरों और कर्मचारियों को सता रहा है। शुक्रवार को ओपीडी में इलाज करने वाले डॉक्टरों ने मरीजों से कहा कि पहले मॉस्क लगाकर आओ तो इलाज किया जाएगा। डॉक्टर की इस बात पर मरीज मॉस्क तलाशने लगे। उधर, अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन को मरीजों के लिए अस्पताल में नि:शुल्क मॉस्क आदि की व्यवस्था करनी चाहिए। मॉस्क की इतनी कमी आ गई है कि मेडिकल स्टोर पर मिल नहीं रहे हैं। कर्मचारियों की सुरक्षा का भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। कर्मचारियों से मॉस्क मांगने पहुंचे मरीज सिविल अस्पताल की पुरानी ओपीडी में मरीज को देख रहे डॉक्टर ने शुक्रवार को बिना मॉस्क लगाए कमरे में दाखिल होने वाले मरीजों को रोक दिया। डॉक्टर ने मरीजों से कहा कि मॉस्क लगाकर ही अंदर आएं तो इलाज मिलेगा। जबकि डॉक्टर खुद मॉस्क लगाए हुए थे। इस पर कई मरीज मॉस्क खरीदने के लिए मेडिकल स्टोर गए। वहां पर उन्हें सामान्य मॉस्क भी नहीं मिला। वह अस्पताल आए और कर्मचारियों से मॉस्क की मांग करने लगे। कर्मचारियों ने खुद के पास भी मॉस्क या ग्लब्स न होने की जानकारी देकर उन्हें लौटा दिया। इस वजह से कई मरीज इलाज ही नहीं करा सके। इन मरीजों को खांसी, जुकाम या बुखार की समस्या नहीं थी। ऐसा ही वाकया बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में भी सामने आया। यहां पर भी कई मरीजों से कहा गया कि कमरे में इलाज के लिए आने पर मॉस्क लगाकर आएं। खासकर खांसी, जुकाम के मरीजों को डॉक्टरों ने ज्यादा हिदायत दी। आमजन को मॉस्क की जरुरत नहीं सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे ने बताया कि बिना मॉस्क के मरीजों का इलाज ओपीडी में किया जा रहा है। किसी डॉक्टर ने ऐसा किया है तो उन्हें निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही कोरोना वायरस को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। यह वायरस बड़े आकार का है। मॉस्क की जरुरत आमजन को नहीं है। सिर्फ जिन व्यक्तियों को खांसी, जुकाम, बुखार या मौसमी फ्लू है। वह सामान्य सर्जिकल मॉस्क, रूमाल, तौलिया और गमछे का प्रयोग खांसते या छींकते समय कर सकते हैं। हाथ को लगातार साफ करते रहें।
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