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जल्द अमीर बनने की चाहत बना रही दिल का बीमार

लखनऊ। निज संवाददाता

जल्द अमीर बनने की चाहत बना रही दिल का बीमार
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSat, 28 Sep 2019 06:52 PM
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लखनऊ। निज संवाददाता लोगों की जल्द अमीर बनने की चाहत उन्हें दिल का बीमार बना रही है। इसके अलावा तनाव और भागमभाग जिंदगी, अनियमित जीवनशैली में दिल के मरीज बढ़ गए हैं। करीब 20 साल पहले कोरोनरी आरर्टी के 30 फीसदी मरीज थे, जबकि अब यह आंकड़ा 50 फीसदी तक पहुंच चुका है। इन मरीजों में डायबिटीज से पीड़ित 70 फीसदी लोग हैं। यह जानकारी पीजीआई के पूर्व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एके श्रीवास्तव ने दी। अस्पतालों में बढ़ी हैं सुविधाएं राजधानी के सरकारी अस्पतालों में दिल के मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन अधिक जनसंख्या और मरीजों की बढ़ती संख्या से इलाज की सफलता दर कम है। पीजीआई, लोहिया संस्थान, केजीएमयू लॉरी कॉर्डियोलॉजी के अलावा राजधानी में कई निजी सुपर स्पेशियलिटी संस्थान खुल चुके हैं। जहां दिल के मरीजों को बेहतर इलाज दिया जा रहा है। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के संपादक डॉ. आशुतोष दुबे बताते हैं कि अस्पतालों में दिल के बीमार मरीजों की सुविधाएं अब पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई हैं। सीने के बीच में दर्द हो तो अस्पताल जाएं। सबसे पहले ईसीजी कराएं। ईसीजी से लेकर ब्लड शुगर, ट्रॉप्टी शहर के सरकारी प्रमुख अस्पताल सिविल, बलरामपुर, लोहिया में है। जांच के बाद 23 फीसदी की मौत कृष्णानगर स्थित निजी अस्पताल के चेयरमैन और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुशील गट्टानी ने बताया कि हृदय रोग भारत में पुरुषों और महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण है। भारत में दिल की बीमारी से मरने वालो की संख्या बहुत अधिक है। करीब 23 फीसदी दिल की बीमारी के मरीज डायग्नोसिस के एक वर्ष के भीतर दम तोड़ देते हैं। आंकड़े बताते हैं कि बीते एक दशक में युवाओं में हृदय रोग की घटनाओं में 24.8 फीसदी की दर से वृद्धि हुई है। चिंताजनक है कि दिल के मरीजों में 16 फीसदी करीब 40 साल से कम उम्र के हैं। पुरुषों को 40 और महिलाओं को 45 साल की उम्र में नियमित रूप से शुगर, कोलेस्ट्राल और ईसीजी कराते रहना चाहिए।

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