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कोरोना संकट ने नए सत्र से कई बदलावों की नींव डाली

कोरोना संकट ने उच्च शिक्षा में लंबे समय से प्रतीक्षित बदलावों की नींव डाल दी है। लॉक डाउन के बीच कोर्स पूरा कराने और लंबित परीक्षाएं कराने का उपाय खोजते हुए कई नए विचार सामने...

कोरोना संकट ने नए सत्र से कई बदलावों की नींव डाली
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 24 May 2020 05:36 PM
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राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग को लगातार मिल रहे उपयोगी सुझाव प्रमुख संवादतदाता-राज्य मुख्यालय कोरोना संकट ने उच्च शिक्षा में लंबे समय से प्रतीक्षित बदलावों की नींव डाल दी है। लॉकडाउन के बीच कोर्स पूरा कराने और लंबित परीक्षाएं कराने का उपाय खोजते हुए कई नए विचार सामने आए। शिक्षाविदों के ऐसे ही कुछ सुझावों से नए शैक्षिक सत्र में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग को लगातार उपयोगी सुझाव मिल रहे हैं। सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए जारी हो सामान्य मार्गदर्शिकाछत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर और दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सुझाव देते हुए चार अलग-अलग प्रस्तावों का जिक्र किया है। उन्होंने इन सुझावों पर विचार करते हुए सभी राज्य विश्वविद्यालयों के लिए समान मार्गदर्शिका जारी करने का अनुरोध किया है। उनके चारों प्रस्तावों में हर तरह की परिस्थितियों के मुताबिक पढ़ाई और परीक्षा का मॉडल बताया गया है। उनके इन सुझावों ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों को व्यापक फलक उपलब्ध करा दिया है।ओएमआर शीट के प्रयोग का सुझाव प्रो. कुमार इस समय श्री कल्ला जी वैदिक विश्वविद्यालय चितौड़गढ़ राजस्थान के अध्यक्ष हैं। एक प्रस्ताव में उन्होंने दीर्घ व लघु उत्तरीय प्रश्नों के बजाए बहुबिकल्पीय प्रश्नों का सहारा लेने और उत्तर पुस्तिकाओं के स्थान पर ओएमआर शीट का प्रयोग करने की सलाह दी है। इससे स्कैनिंग के द्वारा परीक्षा परिणाम भी शीघ्र तैयार हो जाएगा। उन्होंने परीक्षा का समय तीन घंटे से घटाकर दो घंटे करने और दो पालियों की जगह तीन पालियों में परीक्षा कराने का भी सुझाव दिया है। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके सिंह ने अगले सत्र से परीक्षा प्रणाली में ही आमूलचूल परिवर्तन का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि सतत मूल्यांकन की प्रणाली अपनाई जानी चाहिए, जिसमें केवल 20 प्रतिशत अंकों के लिए ही वार्षिक परीक्षाएं हों। यह परीक्षा बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित भी हो सकती है। इस प्रणाली में शिक्षक हर हफ्ते या पाक्षिक छात्रों का टेस्ट लेगा। इससे शिक्षक ज्यादा जुड़ाव महसूस करेंगे। साथ ही इसमें कक्षा में उपस्थिति पर भी अंक मिलें, जिससे छात्र कक्षाओं के प्रति गंभीर होंगे।

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