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तीन तलाक पर बना कानून महिलाओं के बुनियादी हक पर हमला

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग ने आयोजित किया तीन तलाक व महिला अधिकार पर...

तीन तलाक पर बना कानून महिलाओं के बुनियादी हक पर हमला
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 05 Oct 2018 06:54 PM
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग ने आयोजित किया तीन तलाक व महिला अधिकार पर सेमिनारसरकार से तीन तलाक पर बने कानून को खत्म करने की मांगलखनऊ। कार्यालय संवाददातातीन तलाक पर सरकार के पेश किए गए बिल का शुक्रवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग ने कड़ा विरोध किया। महिलाओं ने कहा कि तीन तलाक पर सरकार के बिल ने यह साबित कर दिया है कि इस्लामी शरीअत में दखल देना चाहती है। शुक्रवार को दारुल उलूम फरंगी महल ऐशबाग ईदगाह में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की अध्यक्षता में ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ और महिलाओं के अधिकार के विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें मौलाना फरंगी महली ने कहा कि तीन तलाक पर केन्द्र सरकार का पेश किया गया बिल महिलाओं के बुनियादी अधिकारों पर संगीन हमला है। उन्होंने मुसलमानों से अपील की है कि वह शरीअत की हिफाजत के लिए अल्लाह से दुआ करें। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड महिला विंग की निगहत परवीन ने कहा कि हिन्दुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है। यहां पर सभी अपने मजहब पर अमल करने की आजादी है। सरकार ने शरीयत में दखलअंदाजी करके ये साबित कर दिया है कि उसका रवैया तानाशाही भरा है। उन्होंने तीन तलाक बिल के खिलाफ पूरे देश से करीब 5 करोड़ मुस्लिम महिलाओं ने सरकार को पत्र लिखें थे। सरकार ने उन महिलाओं की आवाज को दरकिनार कर दिया। निगहत खान ने कहा कि शरीअत बचाने के लिए अब मुस्लिम महिलाओं को अपने घरों से निकलना पड़ेगा। तीन तलाक से महिलाओं को परेशानी नहीं जामिअतुल मोमिनात की उप प्राचार्या आमिना रिजवान ने कहा कि अल्लाह ने औरतों को कुरान और हदीस बहुत से हक दिए है। पूरी दुनिया की मुस्लिम महिलाएं दिए गए हक से पूरी तरह संन्तुष्ट है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से समय-समय पर मुस्लिम महिलाओं को आधार बना कर शरीअत पर हमले किए जा रहे हैं। इसका सभी मुस्लिम महिलाएं विरोध करती है। डॉ सबा तबस्सुम ने कहा कि तीन तलाक पर कानून बनाने से पहले मस्लिम महिलाओं से सलाह लेनी चाहिये थी, जिनके लिये ये कानून बनाया जा रहा था। तब ये कानून बेहतर बनता। लेकिन सरकार ने एक तरफ रवैया अपनाते हुए कानून बना डाला। इससे महिलाओं में काफी गुस्सा है। सेमिनार में अतिया अजीज, रोहीला फिरदौस, डॉ सबा तबस्सुम, सादिया खानम, राबिया सफीर समेत कई महिलाओं ने अपने विचार रखें।

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