कला को समर्पित कर दी सैयद रजा ने अपनी पूरी जिंदगी
-कैफी आजमी अकादमी में आयोजित हुआ रजा उत्सव, काव्य संध्या में कवियों ने रोशन की...
-कैफी आजमी अकादमी में आयोजित हुआ रजा उत्सव, काव्य संध्या में कवियों ने रोशन की शामलखनऊ । निज संवाददाताऐसे दौर में जब नफरतें चारों तरफ अपना दायरा बढाती चली जा रही हों उस दौर में सिर्फ मोहब्बत, एकजुटता, और भाईचारा, बेहतर कला और साहित्य ही देश को बचा सकता है। विश्वप्रसिद्व चित्रकार सय्यद हैदर रजा ने बहुत छोटी उम्र में तूलिका उठाई थी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक दिन वो कला की नगरी पेरिस पहुंच गए। यह बातें वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने कहीं।मंगलवार को कैफी आजमी अकादमी सभागार में आयोजित रजा फाउंडेशन की ओर से रजा उत्सव में नरेश सक्सेना ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहाकि सैयद हैदर रजा की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए कहाकि उन्होंने पूरी जिन्दगी को कला के लिए समर्पित कर दी। चित्रकला में प्राचीन भारतीय दर्शन में डूब जाना उनकी कला में साफ नजर आता है। उन्होने अपने जीवन में अर्जित की सारी सम्पत्ति रजा फाउण्ढेशन बनाकर उसे समर्पित कर दी। जिसका इस्तेमाल सिर्फ कला साहित्य में नौजवानों को आगे बढाने के लिए किया जाता है। काव्य संध्या में कवि नरेश सक्सेना ने पुल पार करने से पुल पार होता है..., संतोष अर्श ने बहुत सारी अनुपलब्धियों के मध्य प्रेम उपलब्धि सा था..., ऊषा राय ने जो समय और प्रेम को नहीं पहचानते..., संध्या सिंह ने कमजोरियों में बला की ताकत होती है, जब वे सो जाती है..., पंकज चतुर्वेदी ने सवालों से कतराती है सत्ता..., सुभाष राय ने शहंशाह को हवाएं पसंद नहीं..., प्रीति चौधरी ने तर्को का अंत नहीं था..., प्रकाश चंद्र गिरि ने विकास एक शब्द नहीं..., पढ़कर सबका मनमोह लिया। कार्यक्रम की संयोजक सुशीला पुरी ने संचालन किया। नाइश हसन ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।