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कोविड के बाद बढ़ रही है आत्महत्या की प्रवृत्ति: डॉ. कुलकर्णी

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता कोरोना का प्रभाव तो अब कम हो रहा है लेकिन

कोविड के बाद बढ़ रही है आत्महत्या की प्रवृत्ति: डॉ. कुलकर्णी
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊThu, 21 Oct 2021 10:30 PM
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लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता

कोरोना का प्रभाव तो अब कम हो रहा है लेकिन पोस्ट-कोविड लोगों के लिए मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां रोज बढ़ रही हैं। कोविड-19 संक्रमण ठीक होने के बाद भी मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर रहा है। इससे प्रभावित लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है जो कि घातक साबित हो सकती है। ये बातें और उसके पीछे की मानसिकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया। ये बातें एमेरिटस यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के डॉ. एसके कुलकर्णी ले कही। वह एमिटी यूनिवर्सिटी के एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी द्वारा 'इमरजिंग चैलेंजेज एंड एडवांसेज इन न्यूरोसाइंसेज' (ईसीएएन -2021) विषय पर आयोजित किए गए दो दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।

गुरुवार को सम्मेलन का पहला दिन था। इस सम्मेलन का उद्देश्य तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम अनुसंधानों और शोध कार्यों से निकाले गए नए परिणामों से विद्यार्थियों को परिचित कराना है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं में डॉ. बलविंदर शुक्ला, वाइस चांसलर, प्रोफेसर, एंटरप्रेन्योरशिप, लीडरशिप एंड आईटी, एमिटी यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट आरबीईएफ, नोएडा, डॉ. सुनील धनेश्वर, प्रो वाइस चांसलर, एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर, प्रो. डॉ. कमर रहमान, डीन रिसर्च (विज्ञान एवं तकनीकी), एमेटी लखनऊ परिसर और प्रो. सुनीला धनेश्वर संयोजिका, निदेशका, एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, उप डीन रिसर्च (विज्ञान एवं तकनीकी) रहे। प्रो. सुनीला धनेश्वर ने सम्मेलन की प्रस्तावना प्रस्तुत की और डॉ. कमर रहमान ने सम्मेलन में शामिल प्रतिभागियों को संबोधित किया। साथ ही तंत्रिका विज्ञान तथा कृत्रिम बुद्धि के इंटरफेस पर अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।

प्रो. सुनीला ने इस क्षेत्र में अनुसंधानों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि न्यूरोसाइंसेज के क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं के लिए यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा। प्रो. बलविंदर शुक्ला ने कहा कि आने वाले समय में न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव देखे जाने की उम्मीद की जा रही है। इस क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं द्वारा लगातार नई खोजें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सीय दृष्टिकोण से इस सम्मेलन के माध्यम से उपस्थित लोगों को न्यूरोसाइंसेज में हो रही प्रगति को समझने का मौका मिलेगा। प्रो. साईराम कृष्णमूर्ति, फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईटी बीएचयू, डॉ. रिची विलियमसन, अनुसंधान निदेशक, जीवन विज्ञान संकाय, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफोर्ड, यूके और प्रो. राजेश कुमार गोयल, प्रोफेसर और डीन फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला ने भी कार्यक्रम में विचार रखे। सम्मेलन में भारत के साथ-साथ दुनिया भर के 300 से अधिक लोगों में हिस्सा लिया।

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