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केंद्र के लाभकारी मूल्य से छिड़ी बहस

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केंद्र के लाभकारी मूल्य से छिड़ी बहस
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊWed, 18 Jul 2018 10:18 PM
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विशेष संवाददाता- राज्य मुख्यालय

केंद्र के नए उचित एंव लाभकारी मूल्य से अगले पेराई सत्र के लिए गन्ने के नए राज्य परामर्शी मूल्य को लेकर गन्ना किसानों के प्रतिनिधियों और चीनी उद्योग के नुमाइंदों के बीच बहस छिड़ गई है। देश में निजी चीनी मिल मालिकों के संगठन इण्डियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने केन्द्र के उचित व लाभकारी मूल्य को अव्यवहारिक करार दिया है।

श्री वर्मा का कहना है कि चीनी बाजार के मौजूदा और आगामी परिदृश्य को देखते हुए ये बहुत ज्यादा है। उनका कहना है कि इस गन्ना मूल्य पर चीनी मिलें किसानों को अगले सत्र में भुगतान नहीं कर पाएंगी क्योंकि चीनी का बम्पर स्टाक होगा और बाजार में चीनी के दाम मिलों की उत्पादन लागत से भी कम होंगे।

उधर, यूपी के चीनी उद्योग के नुमाइन्दों का कहना है कि आज केन्द्र सरकार ने उचित एवं लाभकारी मूल्य घोषित करते हुए इस बार के लिए गन्ने की उत्पादन लागत 155 रुपये प्रति कुन्तल मानी है। यूपी की मिलें पहले से ही इससे ज्यादा उत्पादन लागत पर किसानों को गन्ना मूल्य दे रही हैं इसलिए अगले सत्र के लिए यूपी में गन्ना मूल्य बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं बनता। गन्ना किसानों के प्रतिननिधियों का कहना है कि पिछले पेराई सत्र में राज्य सरकार ने गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर व अन्य एजेन्सियों के आंकलन पर 284 रुपये प्रति कुन्तल की उत्पादन लागत मानते हुए गन्ने का मूल्य 315 रुपये घोषित किया था इसलिए इस बार किसान राज्य सरकार से 350 रुपये प्रति कुन्तल से ज्यादा की मांग करेंगे क्योंकि लेबर रेट, डीजल से सिंचाई और खाद व रसायनों के दाम बढ़े हैं। इससे यूपी के गन्ना किसानों की उत्पादन लागत में खासा इजाफा हुआ है।

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